विश्वास बहुत बड़ी चीज है । विश्वासो फलदायकः । जैसा विश्वास और जैसी श्रद्धा होगी, वैसा ही फल प्राप्त होगा । नामदेव जी की निष्ठा थी तो कुत्ते में से भगवान को प्रकट होना पड़ा । निष्ठा थी धन्ना जाट की तो सिलबट्टे में से ठाकुर जी प्रकट हो गये । शबरी की भी अपने गुरु के वचनों में दृढ़ श्रद्धा, दृढ़ निष्ठा और दृढ़ भक्ति थी तो श्रीराम जी शबरी का द्वार पूछते-पूछते आये और उन्होंने शबरी के जूठे बेर भी खाये ।
पम्पा सरोवर के इर्द-गिर्द तपस्वी लोग तपस्या करते थे । वे श्री राम जी के लिए व्रत रख के बैठे थे । उन्होंने सुना कि रामजी हमारे पास पहले नहीं पधारे, उस भीलन के यहाँ गये हैं तो वे सारे ऋषि-मुनि, यति-योगी, तपस्वी भागे-भागे आये ।
श्रीराम जी ने कहाः ″ऋषिवरो ! इतनी सुबह हो गयी है और दिन चढ़ गया है फिर भी आपकी वेशभूषा से लगता है कि आपने नहाया नहीं है । साधु तो सवेरे-सवेरे नहाते हैं फिर तिलक करते हैं किन्तु न आपका नहाना हुआ है न साधु का श्रृंगार है, क्या कारण है ?″
वे ऋषि-मुनि बोलेः ″भगवन् ! क्या बतायें, पम्पा सरोवर के पास मतंग ऋषि के आश्रम में शबरी आयी थी । कुछ नये-नये साधुओं ने कहा कि यह तो अंत्यज है, छोटी जाति की है, पम्पा सरोवर में पानी भरने जाती है, हमारा सरोवर अपवित्र करती है । छोटे-बड़े विचारवाले सब जगह होते हैं । तो कुछ छोटे विचारवालों ने शबरी का अनादर कर दिया, तब से पम्पा सरोवर सूखने लग गया है । अब तो खड्डे में थोड़ा-सा पानी है लेकिन पानी क्या है, वह तो मवाद और रक्त का दुर्गंध लिये हुए है । वह हमारे आचमन के योग्य भी नहीं रहा, स्नान, अर्घ्य और पूजा के योग्य भी नहीं रहा, बड़ी समस्या है । आप चलो और अपना पवित्र, कोमल चरण रखो, जल की अंजलि भरकर संकल्प डालो तो कहीं कुछ हो सकता है ।″
राम जी बोलते हैं- ″यह सामर्थ्य मुझमें नहीं है कि शबरी के अनादर से जो प्रकृति कोपायमान हुई है और पम्पा सरोवर का पानी रक्त और मवाद में बदल गया है उसको मैं शुद्ध कर सकूँ । मैं अपना अपमान तो सह लेता हूँ किंतु मेरे भक्त का अपमान मेरे से सहा नहीं जाता । मेरा कोई मान करे तो मुझे इतना आनंद नहीं आता जितना मेरे भक्त और संत के मान से मुझे आनंद आता है ।
हाँ, एक उपाय है । अगर शबरी भीलन राजी हो जाय और दायें पैर का अँगूठा पम्पा सरोवर में डाले तो सरोवर पवित्र हो सकता है ।″
शबरी की कैसी निष्ठा थी सद्गुरु वचनों में, श्रीराम जी में और उसी निष्ठा के प्रभाव से राम जी ने शबरी को कितना ऊँचा कर दिया !
स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2022, पृष्ठ संख्या 21 अंक 350
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ