वर्तमान में देशी गाय का विश्वसनीय शुद्ध घी प्राप्त करना कठिन है । उसमें भी
शुद्ध जलवायु एवं खेती द्वारा उगाये गये उत्तम आहार-द्रव्यों का सेवन करने वाली
तथा प्रदूषणरहित प्राकृतिक वातावरण में रहने वाली देशी गीर गायों का घी प्राप्त
होना तो दुर्लभ ही है परंतु पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू की लोकहितकारी विभिन्न
सेवाओं में से एक गौ पालन एवं संवर्धन के कारण यह धरती का दुर्लभ अमृत समाज को
उपलब्ध हो रहा है ।
पूज्य बापू जी की चरणरज से पावन हुई श्योपुर आश्रम की भूमि पर रहने वाली उत्तम
गीर नस्ल की ये गायें आश्रम की जैविक खेती के माध्यम से भक्तों द्वारा गौ-खाद से
उगाये गये चारे से पुष्ट होती हैं । आश्रम के पावन वातावरण में रहने वाली इन
पवित्र गौ-माताओं से प्राप्त दूध से पारम्परिक पद्धति से बनाया गया बिलोना घी केवल
शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं अपितु मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक उन्नतिकारक भी है ।
इस घी की सात्त्विकता, गुणवत्ता व लाभों का पूरा वर्णन नहीं किया जा सकता ।
देशी गोघृत-सेवन के लाभः
1 हृदय स्वस्थ व बलवान बनता है । रक्तदाब नियंत्रित रहता है । हृदय की
रक्तवाहिनियों की धमनी प्रतिचय (atherosclerosis) से रक्षा करता है । अतः हृदयरोग से रक्षा हेतु तथा
हृदय-रोगियों के लिए यह घी अत्यंत लाभदायी है ।
2 इससे ओज की वृद्धि और दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।
3 मस्तिष्क की कोशिकाएँ (neurons) पुष्ट हो जाती हैं, जिससे बुद्धि व इन्द्रियों की कार्यक्षमता विकसित होती
है । बुद्धि, धारणाशक्ति एवं स्मृति की वृद्धि होती है ।
4 मन का सत्व गुण विकसित होकर चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध आदि दूर होने
में मदद मिलती है । मन की एकाग्रता बढ़ती है । साधना में उन्नति होती है ।
5 नेत्रज्योति बढ़ती है । चश्मा, मोतियाबिंद (cataract), काँचबिंदु (glaucoma) व आँखों की अन्य समस्याओं से रक्षा होती है ।
6 हड्डियाँ व स्नायु सशक्त होते हैं । संधिस्थान (joints) लचीले व मजबूत बनते हैं ।
7 कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता प्राप्त होती है।
8 रोगप्रतिरोधक शक्ति (immunity power) बढ़कर घातक विषाणुजन्य संक्रमणों (viral infections) से प्रतिकार करने की
शक्ति मिलती है ।
9 जठराग्नि तीव्र व पाचन-संस्थान सशक्त होता है । मोटापा नहीं आता, वजन
नियंत्रित रहता है । वीर्य पुष्ट होता है । यौवन दीर्घकाल तक बना रहता है ।
10 चेहरे की सौम्यता, तेज एवं सुंदरता बढ़ती है । स्वर उत्तम होता है एवं रंग
निखरता है । बाल घने, मुलायम व लम्बे होते हैं ।
11 गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान
बनता है ।
इनके अतिरिक्त असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं ।
( यह घी संत श्री आशाराम जी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व
समितियों से प्राप्त हो सकता है । ) (संकलकः प्रीतेश पाटील )
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2022, पृष्ठ संख्या 29 अंक 354
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