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योगलीलाओं की श्रृंखला में जुड़ा एक सुवर्ण अध्याय


29 अगस्त 2012 को मोरबी से पूज्य बापू जी हेलिकॉप्टर से गोधरा के लिए रवाना हुए । गोधरा पहुँचने पर जप हेलिकॉप्टर धरती से करीब 100 फीट ऊपर था तब पायलट का हेलिकॉप्टर पर से नियंत्रण छूट गया… और यह क्या ! हेलिकॉप्टर सीधा जमीन पर उतरने के बजाय मुँह के बल गिरा और उसके पुर्जे अलग-अलग हो गये ।

बापू जी जिस ओर बैठे थे उसी ओर से हेलिकॉप्टर धड़ाम-से गिरकर उलटा हो गया । पंखे के टुकड़े-टुकड़े होकर कई फीट दूर उछल गये । हेलिकॉप्टर का आगे का हिस्सा जमीन पर जोर से टकराया और पीछे का हिस्सा आकाश की ओर उछलकर उसके पुर्जे हवा में बिखर गये । हेलिकॉप्टर खतरनाक ढंग से उलट पुलटकर बापू जी की तरफ वाला हिस्सा नीचे दब गया । उसी क्षण हेलिकॉप्टर के पिछले हिस्से में (पेट्रोल टैंक के पास) भीषण आग लग गयी । पेट्रोल भी कौन सा ? व्हाइट पेट्रोल, जो अति ज्वलनशील होता है । अब पेट्रोल टैंक से बह रहा है व्हाइट पेट्रोल… बिल्कुल एक नल की धार की तरह !

जहाँ आग की एक चिंगारी भी भयंकर विस्फोटक साबित हो सकती है, वहीं आग की लपटों का पेट्रोल टैंक के हिस्से से शांत सुमेल का दृश्य विश्व का आठवाँ अजूबा ही कहलायेगा !

और अचानक आग बुझ गयी । कैसे बुझी आग ? किसने बुझायी ? क्या हेलिकॉप्टर में ऐसा कोई सिस्टम है कि जब हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो तब उसमें लगी आग अपने-आप बुझ जाय ? ना, अभी तक ऐसी कोई तकनीक खोजी ही नहीं गयी है ।

फिर यह कौन सी चमत्कारिक शक्ति है ? नजर के सामने ही हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ सभी के मन में एक ही सवाल था कि अंदर बैठे पूज्य बापू जी की स्थिति कैसी होगी ?… क्योंकि बापू जी जिस ओर बैठे थे, उस ओर का हेलिकॉप्टर का हिस्सा पलटकर चकनाचूर हो गया था ।

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ उसके बाद कुछ क्षणों में पूज्य बापू जी हेलिकॉप्टर के आगे हिस्से से बाहर आये । हेलिकॉप्टर के पुर्जों के बीच में से बाहर आते ही पूज्य बापू जी ने आसपास खड़े भक्तों को इशारे से कहा कि मैं ठीक हूँ । फिर बापू जी ने अलमस्त अंदाज में ‘हरि ॐ’ की गर्जना की, तब उपस्थित सभी भक्त भी हर्षित होते हुए ‘हरि ॐ बापू जी… हरि ॐ बापू जी…’ बोल उठे ।

जैसे पुराणों में आता है कि भगवान श्रीकृष्ण अघासुर अजगर के मुख से हँसते-खेलते बाहर आ गये थे, वैसे ही बापू जी ने भी हेलिकॉप्टर दुर्घटना का रूप ले के आये हुए अघासुर को अपने योगबल से परास्त कर दिया । इतिहास साक्षी है कि ऐसी भीषण दुर्घटना में आज तक कोई नहीं बच पाया परंतु यहाँ तो बापू जी सहित हेलिकॉप्टर में सवार किसी का बाल भी बाँका नहीं हुआ, किसी को खरोंच तक नहीं आयी ।

पुराणों में लिखित चमत्कारों के बारे में तो केवल सुना है लेकिन यह वास्तविक दृश्य तो कैमरे में कैद होकर इतिहास में सुवर्ण अक्षरों में अंकित हो गया ।

इतनी बड़ी हेलिकॉप्टर दुर्घटना होने के बावजूद बापू जी कुछ ही समय में गोधरा के सत्संग-पंडाल में निर्धारित समय पर पहुँचे और गोधरा का कार्यक्रम सकुशल सम्पन्न हुआ ।

सुनी-सुनायी बात जल्दी मानने में नहीं आती परंतु वीडियो में स्पष्ट दिखने वाले इस सत्य को कौन नकार सकता है ? भारी-भरकम मजबूत धातु के पुर्जों से बने हेलिकॉप्टर का तो बन गया पूरा कचूमर पर आगे की ही सीट पर बैठे बापू जी का कोमल शरीर बिल्कुल स्वस्थ, मस्त, तन्दुरुस्त । कहते हैं न, कि ‘चमत्कार को नमस्कार है !’ इस घटना को देखकर नास्तिकवादी लोगों से भी बरबस संत-भगवंत की महिमा गाये बिन नहीं रहा गया । देश-विदेश के मीडिया ने भी इस चमत्कारिक घटना की भूरि-भूरि प्रशंसा की ।

इस प्रसंग ने इन ब्रह्मज्ञानी महापुरुष की योगलीलाओं में एक नया अध्याय जोड़ दिया है, जो विश्व-इतिहास में सुवर्ण अक्षरों में अंकित हो गया है ।

सभी आश्चर्य के समुद्र में गोता लगाने लगे

देश-विदेश के कई संतों-महंतों, धर्माचार्यों, राजनेताओं व उद्योगपतियों ने बापू जी के बारे में के लिए दूरभाष-पर-दूरभाष करने शुरु कर दिये । सेवानिवृत्त राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील ने बापू जी का कुशल समाचार दूरभाष पर पूछने के दौरान बताया कि एयरफोर्स के कई आला अधिकारियों से इस तरह की भयंकर दुर्घटना में सभी लोगों का बच जाने का कारण पूछा तो सभी ने एक स्वर से कहा कि यह एकमात्र बापू जी का चमत्कार ही था वरना ऐसी दुर्घटना में किसी के बचने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता !

अब और कैसा चमत्कार चाहिए ?

  • विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन मुख्य संरक्षक व पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल

″बड़ी भारी हेलिकॉप्टर दुर्घटना में भी बिल्कुल सुरक्षित रहने का जो चमत्कार बापू जी के साथ हुआ है, उसे सारी दुनिया ने देख लिया है । अब नास्तिकों, निंदकों को और कौन-सा पर्चा चाहिए ? और कौन सा चमत्कार चाहिए ? अपनी हरकतों से बाज आ जाओ ।″

यह चमत्कारिक घटना से कम नहीं है

श्री सुशील कुमार शिंदे, तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री

″पूज्य बापू जी का हेलिकॉप्टर अनियंत्रित हो जोरदार धमाके के साथ जमीन पर गिरकर कई टुकड़ों में बिखर गया । बापू जी आगे की सीट पर ही बैठे थे फिर भी उन्हें तथा किसी को भी खरोंच तक नहीं आयी । यह चमत्कारिक घटना से कम नहीं है । बापू जी की जनता को समर्पित सेवा सर्वविदित है ।″

पूज्य बापू जी को दैवी शक्ति प्राप्त है

श्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय रक्षामंत्री, तत्कालीन वरिष्ठ सांसद, भा.ज.पा.

″मैं अपना शीश झुकाकर परम पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू के चरणों में शत-शत प्रणाम करता हूँ । इतनी बड़ी हेलिकॉप्टर दुर्घटना हुई और बापू जी और उनके सहयोगियों का बाल भी बाँका नहीं हो पाया । हमारे परम पूज्य बापू जी को दैवी शक्ति प्राप्त है । परमात्मा ने उनके अंदर जो शक्ति समाहित की है, उसी का यह करिश्मा था । उसी का यह परिणाम था कि बापू जी और उनके किसी भी सहयोगी को रंचमात्र भी चोट नहीं लगी । मैंने ऐसी दुर्घटना कभी अपने जीवन में नहीं देखी थी । जिसने भी इस दुर्घटना को टेलिविज़न पर देखा, सभी यह मान चुके थे कि इसमें कोई बचा नहीं होगा परंतु क्षणभर में ही बिल्कुल सही-सलामत हमारे सबके आस्था व विश्वास के केन्द्र परम पूज्य संत आशाराम जी बापू अपने सहयोगियों के साथ हेलिकॉप्टर से बाहर आये और आज हम सभी लोग अपने चक्षुओं से उनका प्रत्यक्ष दर्शन कर रहे हैं ।″

दुनिया में यह ऐसा पहला चमत्कार है

अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनिंदरजीत सिंह बिट्टा

″दुनिया के अंदर करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक बापू आशाराम जी हैं । बड़े-बड़े मंत्री, मुख्यमंत्री जिनके पास सत्ता थी, उनके हेलिकॉप्टर गिरे तो कोई सलामत नहीं बचा लेकिन बापू जी के साथ इतना बड़ा हादसा हुआ और किसी को भी एक कंकड़ की भी चोट नहीं आयी ! यह दुनिया में इस प्रकार का पहला चमत्कार है । यह बापू जी का चमत्कार है !″

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2022, पृष्ठ संख्या 19-21 अंक 355

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महापुरुष के दर्शन का चमत्कार


पहले मैं कामतृप्ति में ही जीवन का आनंद मानता था । मेरी दो शादियाँ हुईं परन्तु दोनों पत्नियों के देहान्त के कारण मैं 55 वर्ष की उम्र में 18 वर्ष की लड़की से शादी करने को तैयार हो गया । शादी से पूर्व मैं पूज्यपाद स्वामी श्री लीलाशाह जी महाराज का आशीर्वाद लेने डीसा आश्रम में जा पहुँचा । आश्रम में वे तो नहीं मिले मगर जो महापुरुष मिले उनके दर्शनमात्र से न जाने क्या हुआ कि मेरा सारा भविष्य ही बदल गया । उनके योगयुक्त विशाल नेत्रों में न जाने कैसा तेज चमक रहा था कि मैं अधिक देर तक उनकी ओर देख नहीं सका और मेरी नजर उनके चरणों की ओर झुक गयी । मेरा कामवासना तिरोहित हो गयी । घर पहुँचते ही शादी से इनकार कर दिया । भाइयों ने एक कमरे में उस 18 वर्ष की लड़की के साथ मुझे बंद कर दिया ।

मैं काम विकार को जगाने के कई उपाय किये परंतु सब निरर्थक सिद्ध हुए । जैसे कामसुख की चाबी उन महापुरुष के पास ही रह गयी हो ! एकांत कमरे में आग और पेट्रोल जैसा काम विकार का संयोग था, फिर भी… ! मैंने निश्चय किया कि अब मैं उनकी छत्रछाया को नहीं छोड़ूँगा, भले कितना ही विरोध सहन करना पड़े । उन महापुरुष को मैंने अपना मार्गदर्शक बनाया । उनके सान्निध्य में रहकर कुछ यौगिक क्रियाएँ सीखीं । उन्होंने मुझसे ऐसी साधना करवायी कि जिससे शरीर की सारी पुरानी व्याधियाँ जैसे मोटापा, दमा, टी.बी., कब्ज और छोटे-मोटे कई रोग आदि निवृत्त हो गये । मुझ पर ऐसी कृपादृष्टि डाली कि मेरी कुंडलिनी जागृत हो गयी । साधना करनी नहीं पड़ी, आसन, साधन, क्रियाएँ, मुद्राएँ होने लगीं ।

मैं बीमारीयों का थैला था, टी.बी., दमा, खाँसी, एलर्जी, और भी छोटी-मोटी बीमारियों का घर था, बिना छाते के धूप में 5 कदम चलना भी मुश्किल था, धूप नहीं सह सकता था । अब तो कई कि.मी. सुबह-शाम युवकों की तरह टहलने जाता हूँ ।

एकांत में साधना करता था तो शरीर से चंदन की खुशबू आती थी । एक बार मैं शौच के लिए बाहर गया था । शौच के समय मुझे चन्दन की तेजतर्रार सुगंध आने लगी । मैं चकित होकर घंटों तक इधऱ-उधऱ ढूँढता रहा कि ऐसी दिव्य सुगंध कहाँ से आ रही है ? बाद में मुझे पता चला कि मेरे मल में से चंदन की सुगंध आ रही थी । ऐसा कई बार हुआ ।

इस विषय में पूछने पर उन महापुरुष ने योगग्रंथों का उदाहरण देते हुए कहाः ‘ये अवस्थाएँ आती हैं, और आगे बढ़ो ।’ कफ और मेद से भरा शरीर अब फूल जैसा हलका हो गया है ।

विषय विकारों में लिप्त 55 वर्ष की उम्रवाला मेरे जैसा व्यक्ति कल्पना भी नहीं कर सकता कि ऐसा भी जीवन होता है, ऐसा भी नाड़ी शोधन होता है ! मैं धनभागी हूँ की तीसरी शादी के निमित्त आशीर्वाद लेने के लिए डीसा के आश्रम में गया और वहाँ मुझे ऐसे महापुरुष के दर्शन हुए, उनकी कृपा से ध्यान का अवसर मिला ।

जिन महापुरुष ने मेरा जीवन बदल दिया उनका नाम है परम पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू । उनका जो अनुपम उपकार मेरे ऊपर हुआ है उसका बदला तो मैं अपना सम्पूर्ण लौकिक वैभव समर्पण करके भी चुकाने में असमर्थ हूँ ।

महंत चंदीराम (भूतपूर्व चंदीराम कृपालदास)

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2022, पृष्ठ संख्या 6 अंक 355

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कांधार विमान-अपहरण के दौरान हुआ एक चमत्कार !


24 दिसम्बर 1999 को इंडियन एयरलाइन्ज़ का एक जहाज कुछ अपहरणकर्ताओं द्वारा अपहरण कर कांधार (अफगानिस्तान)ले जाया गया था ।

27 दिसम्बर को हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इस जहाज को छुड़वाने के लिए एक दूसरा जहाज भेजा जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर व मंत्रालय के बंदे थे । उनमें मैं भी था ।

28 दिसम्बर को अपहृत जहाज में तकनीकी खराबी के कारण अँधेरा हो गया और अपहरणकर्ता पागल से हो गये । उन्होंने एलान कर दिया कि ‘पहले हमारे जहाज में रोशनी दो, नहीं तो हम यात्रियों को मारना शुरु कर देंगे ।’

एक तो अपहरणकर्ताओं का डर, दूसरा जहाज में रोशनी नहीं और तीसरा अपहरणकर्ताओं द्वारा यात्रियों को जान से मारने की धमकी । सुबह से शाम हो गयी । स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गयी क्योंकि हमारी टीम का कोई भी व्यक्ति जहाज के अंदर जाकर काम करने को तैयार नहीं था ।

पर मैंने मन-ही-मन गुरुदेव की आज्ञा ले कर जहाज में काम करने की सम्मति दी, तो मेरे सभी साथी भौचक्के रह गये ! मैं गुरुदेव के दिये हुए गुरुमंत्र का जप करते-करते अपने मिशन पर चल दिया । मैं अपहृत जहाज की सीढ़ीयों पर चढ़ने लगा, जैसे ही आखिरी सीढ़ी पर पहुँचा, दो अपहरणकर्ताओं से मेरा सामना हुआ । दोनों के एक हाथ में रिवॉल्वर व दूसरे हाथ में हथगोले थे । उन्होंने मेरी तलाशी ली ।

तलाशी में सबसे पहले उनको मिला गुरुदेव की तस्वीर वाला पेन व चाबी का छल्ला, जिसे देखकर वे चौंके और पूछाः ″यह तस्वीर किसकी है ?″

मैंने कहाः ″मेरे गुरुदेव की ।″ उनका दूसरा सवालः ″इनका नाम क्या है ?″ मैंने गुरुदेव का नाम बताया । और जो भी उन्होंने पूछा मैंने सब बता दिया । उनका रुख थोड़ा नरम हुआ ।

मैंने उस जहाज में एक घंटे तक काम किया और तकनीकी खराबी को ठीक करके जहाज में रोशनी कर दी । जितनी देर मैं जहाज में रहा ऐसा लगा कि गुरुदेव मेरे साथ हैं और मुझसे काम करवा रहे हैं जबकि अपहरणकर्ता पिस्तौल ताने खड़ा था और मुझे बार-बार कह रहा था कि ‘कोई चालाकी की तो गोली मार दूँगा… लाइट नहीं आयी तो बम से उड़ा दूँगा ।’

जैसे ही मैं काम करके नीचे आया, मेरे सभी साथी मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मैं जिंदा भूत हूँ ।

1 जनवरी को मैं अपनी टीम सहित अपहृत जहाज लेकर वापस दिल्ली आया । जब तक मैं वापस नहीं आया तब तक मेरी पत्नी व बच्चे गुरुदेव का ही ध्यान करते रहे । मैं अपने गुरुवर को पुनः शत-शत प्रणाम करता हूँ ।

राकेश कुमार शर्मा, सेवानिवृत्त प्रबंधक

एयर इंडिया, पालम, नई दिल्ली

सचल दूरभाषः 7836014080

अमृतबिन्दु – पूज्य बापू जी

गुरुमंत्र दिखता है साधारण शब्द या शब्द-समूह लेकिन सद्गुरु के आत्मा-परमात्मा का कृपा-प्रवाह उसके साथ जुड़ा है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2022, पृष्ठ संख्या 27 अंक 355

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