337 ऋषि प्रसाद जनवरी 2021

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

शांतिपाठ के अंत में ‘ॐ’ के बाद 3 बार ‘शांति’ उच्चारण क्यों ?


शुभ कार्यों आरम्भ में गाये जाने वाले मंगलाचरण या शांतिपाठ से सुस्पष्ट होता है कि मनुष्यमात्र सुखप्राप्ति और दुःखनिवृत्ति के लिए सदा प्रयत्नशील है । दुःख तीन प्रकार के होते हैं और शांतिपाठ का उद्देश्य इन तीनों प्रकार के दुःखों से मुक्त होने का है । इसी से शांतिपाठ के अंत में ‘ॐ’ के बाद …

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प्रसन्नता और समता बनाये रखने का सरल उपाय – पूज्य बापू जी


प्रसन्नता बनाये रखने और उसे बढ़ाने का एक सरल उपाय यह है कि सुबह अपने कमरे में बैठकर जोर-से हँसो । आज तक जो सुख-दुःख आया वह बीत गया और जो आयेगा वह बीत जायेगा । जो होगा, देखा जायेगा । आज तो मौज में रहो । भले झूठमूठ में हँसो । ऐसा करते-करते सच्ची …

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नारी और नर में एकत्व


प्रश्नः महात्माओं की दृष्टि में नारी क्या है ? स्वामी अखंडानंद जीः जो नर है । अभिप्राय यह है कि महात्माओं की दृष्टि में नारी और नर का भेद नहीं होता । जो ज्ञानमार्ग द्वारा सिद्ध हैं उनकी दृष्टि में ब्रह्म के सिवा और सब नाम-रूप-क्रियात्मक प्रपंच मिथ्या है अर्थात् केव ब्रह्म ही, प्रत्यगात्मा (अंतरात्मा) …

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