326 ऋषि प्रसाद – फरवरी 2020

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गौण और मुख्य अर्थ में सेवा क्या है ?


सांसारिक कर्तव्यपूर्ति मोह के आश्रित एवं उसी के द्वारा प्रेरित होने से गौण कर्तव्यपूर्ति कही जा सकती है, मुख्य कर्तव्यपूर्ति नहीं । अतः वह गौण या स्थूल अर्थ में ‘सेवा’ कहलाती है, मुख्य अर्थ में नहीं । वेतन लेकर रास्ते पर झाड़ू लगाने  वाली महिला का वह कार्य नौकरी अथवा ‘डयूटी’ कहलाता है सेवा नहीं …

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महामूर्ख से कैसे बने महाविद्वान ? – पूज्य बापू जी


एक लड़का महामूर्ख था । उसका नाम था पाणिनि । उसे विद्यालय में भर्ती किया तो 14 साल की उम्र तक पहली कक्षा में नापास, नापास, नापास…. । बाप ने बोला कि “इससे तो मर जा !” माँ ने कहाः “मेरे पेट से तू पैदा हुआ, इससे अच्छा होता कि मेरे पेट से पत्थर पैदा …

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