भक्तों की भक्ति को कैसे पुष्ट करते हैं भगवान व गुरु !
पूज्य बापू जी भगवान रामानुजाचार्यजी के शिष्य थे अनंतालवार (अनंतालवान)। वे तिरुपति (आंध्र प्रदेश) में रहते थे। वहाँ तिरुमला की पहाड़ी पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर था। डाकू-चोर के भय से लोग सूरज उगने के बाद ही वहाँ जाते थे और शाम को आ जाते थे लेकिन रामानुजाचार्यजी ने अपने शिष्य को आदेश दियाः “आलवार …