आखिर यह भी तो नहीं रहेगा !
(पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी अमृतवाणी) एक फकीर यात्रा करने गया। रास्ते में किसी गाँव में रात पड़ी तो लोगों से बोलाः “रात पड़ी है, मुझे कहाँ ठहरना चाहिए ? है कोई यहाँ धर्मात्मा आदमी ?” बोलेः “धर्मात्मा तो बहुत हैं, धनी भी बहुत हैं लेकिन एक शुक्रगुजार व्यक्ति है, उसको लोग ʹशाकिरʹ बोलते हैं। …