धर्मात्मा की ही कसौटियाँ क्यों ?
(पूज्य बापू जी के सत्संग प्रवचन से) प्रायः भक्तों के जीवन में यह फरियाद बनी रहती है कि ‘हम तो भगवान की इतनी भक्ति करते हैं, रोज सत्संग करते हैं, निःस्वार्थ भाव से गरीबों की सेवा करते हैं, धर्म का यथोचित अनुष्ठान करते हैं फिर भी हम भक्तों की इतनी कसौटियाँ क्यों होती हैं ?’ …