ज्ञान की वृत्ति से अघोर बन जाओ-पूज्य बापू जी
मोकलपुर (उ.प्र.) के आसपास एक अघोरी बाबा रहते थे। वटवृक्ष के नीचे झोंपड़ी थी, बड़े विद्वान भी थे। वे रोज 3 मील दूर चले जाते हाँड़ी ले के फिर घंटों के बाद आनंदित हो के आते। अखंडानंद जी ने पूछा कि “बाबा ! आप रोज कहाँ जाते हैं ?” बोलेः “मैं उधर जाता हूँ, वहाँ …