273 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

पूज्य बापू जी के सदगुरु साँईं श्री लीलाशाहजी द्वारा पूज्य श्री को लिखा हुआ पत्र


दिनांकः 10 मार्च, 1969 प्रिय, प्रिय आशाराम ! विश्वरूप परिवार में खुश-प्रसन्न हो। तुम्हारा पत्र मिला। समाचार जाना। जब तक शरीर है तब तक सुख-दुःख, ठंडी-गर्मी, लाभ-हानि, मान-अपमान होते रहते हैं। सत्य वस्तु परमात्मा में जो संसार प्रतीत होता है वह आभास है। कठिनाइयाँ तो आती जाती रहती हैं। अपने सत्संग-प्रवचन में अत्यधिक सदाचार और …

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मोक्ष नित्य है या अनित्य ?


शंका- ब्रह्मविद्या का प्रयोजन मोक्ष की सिद्धि है और वह ब्रह्मात्मैक्य-बोध (आत्मा और ब्रह्म की एकता का ज्ञान) से होती है। ठीक है, पर वह मोक्ष नित्य है अनित्य ? यदि अनित्य है तो अनित्य से वैराग्य होना चाहिए। अनित्य मोक्ष की आवश्यकता ही नहीं। यदि मोक्ष नित्य है तो वह साधनजन्य नहीं होगा क्योंकि …

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कैसे होते हैं परमात्मा वामन से विराट ?


(वामन जयन्तीः 25 सितम्बर 2015) ऊर्ध्वं प्राणमुन्नयत्यपानं प्रत्यगस्यति। मध्ये वामनमासीनं विश्वे देवा उपासते।। (कठोपनिषद्- 2.2.3) प्राण को ऊपर फेंक देता है और अपानवायु को नीचे फेंक देता है और दोनों के बीच में बैठा हुआ है वामन। वामन भगवान का नाम तो आप जानते ही हैं न ! नन्हा सा ईश्वर बैठा हुआ है वहाँ। …

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