356 ऋषि प्रसाद: अगस्त2022

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

मुरझा गयी क्यों जीवन-बगिया ? – पूज्य बापू जी
(सर्वगुणनाशक अहंकार)


एक सम्राट ने सुंदर बग़ीचा लगवाया । वह दूर-दराज से पौधेमँगवाकर लगवाता रहता था तो बगीचे में विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगेफूल खिलते थे । प्रायः सम्राट बगीचे में सैर करने जाता । कभी कोईमेहमान आता, पड़ोसी राजा आता तो उसे खास तौर पर बगीचे में लेजाता । बगीचे में एक पौधा तेजी से बढ़ा …

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भय को कुचल डालो – पूज्य बापू जी


किसी भी परिस्थिति में तुम भयभीत न होना । निर्भयता से हीसारी सफलताएँ मिलती हैं, भय को कुचल डालो । हिम्मत रखो, ईश्वरतुम्हारे साथ है । भय को दूर भगाकर प्रतिदिन निर्भयस्वरूप परमात्माका ध्यान करो । ‘ॐ… ॐ… मैं निर्भय नारायण परमात्म-चेतना के साथएक हो रहा हूँ । ॐ…ॐ… जो सदा है, अमर है उसी …

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जीवन में गुरु की अनिवार्यता – रमण महर्षि


आत्मानुभ के लिए प्रयत्नशील साधकों के लिए गुरु आवश्यक हैंलेकिन पूरे मनोयोग से प्रयत्न न करने वालों में गुरु आत्मानुभवउत्पन्न नहीं कर सकते । यदि साधक आत्मदर्शन के लिए गम्भीरप्रयत्न करता है तो गुरु की अनुग्रहशक्ति अपने-आप प्रवाहित होनेलगती है । यदि प्रयास न किया जाय तो गुरु असहाय हैं ।गुरु अनिवार्य हैं । उपनिषद …

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