सहजता, सरलता व परदुःखकातरता की साक्षात् मूर्ति मेरे गुरुदेव ! – पूज्य बापू जी
कितने परदुःखकातर व सरल ! जो भी करो सावधानी से, तत्परता से, लापरवाहीरहित होकर करो । कोई बड़ा काम करने से व्यक्ति बड़ा नहीं होता, छोटा काम करने से व्यक्ति छोटा नहीं होता । मैं मेरे गुरुदेव ( पूज्यपाद भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज ) के साथ पत्थर उठाता था, गुरुदेव भी उठाते थे …