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गुरुद्रोही छोरी


जितना ओपनली बोलते हैं कि बापू से हम अलग है उतना ही ओपनली यह भी बोले कि बापू के भक्त यहां ना आए और जो एकनिष्ठ गुरुभक्त नहीं है वही इनके पास जाते है जो गुरु का अंश और गरु परिवार की बीन बजाते है इन बातों को अपनी खुली आंखों से देखना चाहिए गुरु अंश और गुरु परिवार करने वालों को समझना चाहिए राम के भी पुत्र थे और कृष्ण १६००००० से ज्यादा पुत्र थे १६००० से ज्यादा पुत्रियाँ थी । वे सब राम और कृष्ण के अंश थे पर कृष्ण के भक्त उनके इन अंशों की पूजा तो क्या उनको याद भी नहीं करते।

यह जरुरी नहीं कि भक्तों के घर हर बार भक्त  ही आता है । कभी हिरण्यकिशपु के यहां भक्त प्रल्हाद भी हो सकता है और कभी भगवान कृष्ण के यहां भी विद्रोही पुत्र हो सकता है।

ऐसा भी सुनने में आया है कि गुरु को फसाने वालों के साथ यह भी मिले हुए हैं। बाबा रामदेव वास्तव में बीजेपी से मिले हुए है फिर भी उनके योग शिविर के किसी पोस्टर में बीजेपी के किसी नेता का फोटो नहीं मिलेगा । पर आसुरी माया के योग शिविर के पोस्टर में सर्वोच्च बीजेपी नेता की फोटो छपी हई है । इससे स्पष्ट होता है कि षड्यंत्कारी नेताओ से वे मिले हुए है । (यहा वह फोटो अपलोड दिखा देना) । भ्रम भ्रम ठाकुर , राहुल दोषी, मिहिर आदि ध्रतों को यह फंडिंग  करते है जो धन का लालच में अपने गुरु से गद्दारी करने का पाप कर रहे है । वे यह भी सोचें कि क्या यह धन

नारकीय दुखों से बचाएगा ? 

और एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि एक और साधक गुरु भाई जो कभी गुरु निष्ठा से डग नहीं सकते उनको एक गरु बहन ने बताया था कि भारती देवी के यहां आने वाले बापू के शिष्य को धीरे धीरे  विश्वास  में लेकर उनके गुरु मंत्र छुड़वाते हैं और नया गुरु मंत्र देते हैं वह भी इनके सत्संग में जाती थी वहां देखा है, फिर एकांत में बुलाकर बापू और

नारायण साई के विषय में जहर भरते हैं कि दोनों बाप बेटे बाहर आएंगे तो फिर से ऐसे ही करेंगे अच्छा हुआ गए आदि । यह बात श्री अजय मिश्रा ने अपने कानों से सुनी। हई

कोई छोटी मोटी कला भी किसी से कुछ सीखता है तो उसका क्रेडिट उस गुरु को देता है कि यह विद्या मैंने सीखी है, इनसे यह रिसपी सीखी है, उनसे म्यूजिक सिखा है ,फलाने से गाड़ी चलाना सिखा है, फलाने गरु से स्कूल की शिक्षा ली है , यह मेरे इस विषय के गरु हैं,लेकिन भारती देवी के चरित्र में कहीं भी ना पिता की महिमा है ना पिता को गरु 

रुप में स्वीकारने की बात पाई , यह बात देवी के पाखण्ड को उजागर करती है ।

आप स्वयं उनके ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते है उनकी लिंक है

http://www ।prernamurti ।com/index ।php

भारती देवी की पूजवाने की वासना


आखिर किस आधार पर उनके भक्त उनको आत्माज्ञानी मानते है? एक सच्चे ब्रह्मज्ञानी गुरु के शिष्य होकर भी किसी पाखंडी के चक्कर में क्यों आते? फिर भी उनका कसूर नहीं है । आसुरी माया का प्रभाव ही ऐसा होता है।

गीता में भगवान कृष्ण कहते है कि उनकी दैवी माया बड़ी दुस्तर है फिर भी कोई कोई सतगुरू के शिष्य उनकी कृपा से माया को तर जाते है लेकिन आसुरी माया तरना तो असंभव है क्योंकि वह शिष्य की श्रद्धा सतगुरू से

अपने में लगा देते है । इसिलए आसुरी माया के चक्कर में आये हए लोग सावधान हो जाए तो ठीक है अन्यथा उनके  लिए मोक्ष पाना तो असंभव हो जाएगा और उनको नरकों की यात्रा से बचाने वाला भी कोई नहीं मिलेगा।

जैसे लौकिक जगत के सेक्स वकर्र और उनके pimp धन कमाने के लिए चरित्रवान पुरूषों को भ्रष्टाचारी बनाते है , उनके धन, यौवन, स्वास्थ्य एवं चरित्र को नष्ट कर देते है वैसे आध्याित्मक जगत के सेक्स वकर्र pimp धन कमाने के लिए और खुद को पजुवाने के लिए ब्रह्मज्ञानी गुरू के शिष्यों , एकनिष्ठ गुरुभक्तों को व्यिभचारणी भक्ति सिखाकर उनका धन, उच्च आध्याित्मक संपत्ति , एकनिष्ठ गुरुभक्ति , स्वास्थ्य और मोक्ष क संभावना को नष्ट कर देते है जो करोड़ों जन्मों के बाद कभी कभी प्राप्त होती है । और जैसे एक बार जिसको सेक्स वकर्र का चस्का लग जाता है वह फिर से चरित्रवान बनना नहीं चाहता वैसे ही जिसको एक बार आध्याित्मक जगत के सेक्स वकर्र का चसका लग गया वह भी फिर से एकनिष्ठ गुरुभक्त  बनना नहीं चाहता लौकिक जगत के सेक्स वकर्र तो स्त्रियां ही हो सकती है लेकिन आध्याित्मक जगत के सेक्स वकर्र स्त्रियां और पुरूष दोनों हो सकते है। लौकिक जगत के सेक्स वकर्र का शिकार तो केवल परूष होते है पर आध्याित्मक जगत के सेक्स वकर्र के शिकार स्त्रियां और पुरुष दोनों होते हैं। इसका यह प्रमाण है कि भारती देवी पूज्यबापू को ना ही गरू मानते हैं और ना ही पिता। फिर भी उनकी दुकान बापू के नाम से ही चलती हैं । 95% श्रोता बापू के ही साधक है और सेवा में भी आश्रम के ही समर्पित भक्त हैं। जब वे बापू से अलग है तो बापू के शिष्यों क सेवा क्यों लेते हैं ? सवा सो करोड़ से ज्यादा लोग भारत में है उनको अपना शिष्य या अनुयायी क्यों नहीं बनाते? क्योंकि गुरु बनने का सामर्थ्य नहीं है, इसिलए पाखण्ड चलाकर पूजवाने की वासना तृप्त करनी है ।

भारती देवी के गुरु कौन?


ऐसे ही हर सत्संग में गुरु के स्थान पर वे लीलाशाह महाराज जी की तस्वीर रखते है , शायद अपने निगुरेपन को छुपाने के लिए । हमने गूगल पर सर्च किया तो पता चला लीलाशाह महाराज जी का महािनवार् 4 नवंबर 1973 को हुआ हैऔर प्रभु जी का जन 15 दिसंबर 1974 को हुआ है(screenshot) लीलाशाहजी महाराज के शरीर छोड़ने

के पश्चात हुआ है तो उनसे दीक्षा लेना और उनकी कृपा से आत्मसाक्षात्कार होना तो असंभव है ।

ऐसे ही लोगों में यह संभ्रम बनाए हए हैं की गुरू भक्ति की बातें तो बहुत करते हैं पर यह नहीं बताते कि इनके गुरू कौन है? उनके पिताजी जिनसे उनको गुरुमंत्र बचपन में मिला वह या जिन से मंत्र लेने की बात तो दूर ही है पर उनसे वह कभी मिली भी नहीं और जिनके फोटो सत्संग कार्यक्रमों में लगाते हैं वह ब्रह्मलीन साईं लीलाशाह या जिनको आत्म साक्षात्कार हुआ नहीं है ऐसे मैया ? मैयाजी को आत्म साक्षात्कार हआ नहीं यह बात बापू स्वयं

बताते हैं(वीडीयो)

यह तो संभव है कि कोई गरीब महिला अगर किसी करोडपति से विवाह कर ले तो वह धनवान हो जायेगी 

लेकिन किसी वैज्ञानिक के साथ किसी अनपढ़ मिहला का विवाह हो जाए तो क्या वह महिला भी वैज्ञानिक हो जायेगी? और उस मिहला को कुछ बच्चे हो जाए तो क्या वे सब बच्चे भी वैज्ञानिक हो जाय? इसी तरह किसी ब्रह्मज्ञानी से किसी अज्ञानी मिहला का विवाह हो जाए तो वह महिला ब्रह्मज्ञानी नहीं हो जाएगी और

उसके बच्चे भी ब्रह्मज्ञानी नहीं हो जाएगे । अगर वे ब्रह्मज्ञानी पिता के सिद्धांत के अनुसार चलकर कृपा को हजम करेंगे तो ही वे ब्रह्मज्ञानी हो सकते है । अगर गुरु के द्वारा प्रमािणत हए बिना पुजवाने की वासना से पीड़ित होकर ज्ञान की गहराइयों की बातें करते रहेंगे तो उनको कभी ब्रह्मज्ञान नही हो सकता । और रही साक्षात्कार की बात तो लीलाशाहजी महाराज की कृपा से तो न हीं हुआ क्योंकि वह उनके सानिध्य मे नहीं रही ना मंत्र ही लिया है

 मैया जी से भी नहीं क्योंकि मैया जी को भी नहीं हुआ यह बात बापू भी बताते हैं। आत्म साक्षात्कार किए हए पिताजी से भी नहीं क्योंकि वह उनको गुरु मानती ही नहीं अगर मानती तो उनका नाम जीवनी में चरित्र में अवश्य छपवाती।