|| श्री सुरेशानंद जी की अमृत वाणी ||
प्राणों की रक्षा हेतु मंत्र
हनुमानजी जब लंका से आये तो राम जी ने उनको पूछा कि , रामजी के
वियोग में सीताजी अपने प्राणो की रक्षा कैसे करती हैं ?
तो हनुमान जी ने जो जवाब दिया उसे याद कर लो । अगर आप के घर में कोई अति अस्वस्थ
है, जो बहुत बिमार है, अब नहीं बचेंगे ऐसा लगता हो, सभी डॉक्टर दवाईयाँ भी जवाब दे
गईं हों, तो ऐसे व्यक्ति की प्राणों की रक्षा इस मंत्र से करो..उस व्यक्ति के पास
बैठकर ये हनुमानजी का मंत्र जपो..तो ये सीता जी ने अपने प्राणों की रक्षा कैसे की
ये हनुमानजी के वचन हैं..(सब बोलना)
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार
कपाट ।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट ॥
इसक अर्थ भी समझ लीजिये ।
' नाम पाहरू दिवस निसि ' ..... सीता जी के चारों तरफ आप के नाम का पहरा है ।
क्योंकि वे रात दिन आप के नाम का ही जप करती हैं । सदैव राम जी का ही ध्यान धरती
हैं और जब भी आँखें खोलती हैं तो अपने चरणों में नज़र टिकाकर आप के चरण कमलों को ही
याद करती रहती हैं ।
तो ' जाहिं प्रान केहिं बाट '..... सोचिये की आप के घर के चरों तरफ कड़ा पहरा
है । छत और ज़मीन की तरफ से भी किसी के घुसने का मार्ग बंद कर दिया है, क्या कोई चोर
अंदर घुस सकता है..? ऐसे ही सीता जी ने सभी ओर से श्री रामजी का रक्षा कवच धारण कर
लिया है ..इस प्रकार वे अपने प्राणों की रक्षा करती हैं । तो ये मंत्र श्रद्धा के
साथ जपेंगे तो आप भी किसी के प्राणों की रक्षा कर सकते हैं ।
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