मेरे
गुरुदेवा, करूँ तेरी
सेवा
करूँ सब
मैं अर्पण शरण
दे दो देवा
मेरे
गुरुदेवा ॥
तेरी वाणि
गुरुवर ये सुख
का है सागर
तेरी
भक्ति से होता
सत्य उजागर
तेरा ही
सहारा, तू
है सब से
प्यारा
तेरी सेवा
से मिलता
मुक्ति का
मेवा
मेरे
गुरुदेवा ॥१॥
तुझे
प्रेम करने से
मन होता पावन
तू लगता
हमें जैसे
खुशियों का
सावन
तू ही
प्यास सब की, तू ही आस
सब की
तेरी
प्रीति हम को
रस दे दो देवा
मेरे
गुरुदेवा ॥२॥
जो भटका
हुआ भी शरण
तेरी आता
वो रहमत
से तेरी है सब
कुछ पाता
तू सब का
है मालिक, तू
दीनदयाला
हमें अपनी
भक्ति का वर
दे दो देवा
मेरे
गुरुदेवा ॥३॥
तेरा
प्रेम जन्मों
की बेडी काटे
तू अपनी
कृपा को सहज
में ही बाँटे
तू ही साथ
मेरे, तुम
ही नाथ मेरे
जो तुम से
मिला वो डगर
दे दो देवा
मेरे
गुरुदेवा ॥४॥
तेरे
दर्शनों से
मिलती हम को
शान्ति
तेरे
ज्ञान से
मिटती है
भ्रान्ति
तू साहस
बढ़ाता है, जीवन
सजाता
तुम्हें
खुश करें वो
करम दे दो
देवा
मेरे
गुरुदेव ॥५॥
करूँ तेरी
सेवा
करूँ तेरी
सेवा