जग में
नहीं कोई ऐसा, मेरे
गुरुवर जैसा
ज्ञान भरे
गुरु ऐसा, फिर सुख
दुःख कैसा?
जपते रहें
तेरा नाम, तेरी
शरण सुखधाम
हम दाता
हैं शरण
तुम्हारी
तेरे
हवाले डोरी
हमारी
तुम रक्षक
हो संकट हारी
तुझ में
बसती दुनिया
हमारी
जपते रहें
तेरा नाम
तू ही
कृष्ण और राम
॥१॥
इन के
वचनों को जो
भी जीवन में
लाता
वो पथ की
बाधाओं से फिर
ना घबराता
प्यारा
गुरु का नाम, गुरु की
शरण सुखधाम
॥२॥
इन से लग
जाये लगन जो
फिर कुछ नहीं
भाता
इन की
भक्ति के जैसे
सुख नजर ना
आता
जपते रहें
तेरा नाम, तेरी शरण
सुखधाम ॥३॥
ये ही
धर्म ज्ञान और
मुक्ति
शान्ति के
दाता
वो धन्य
हैं जो
श्रद्धा से इन
को है ध्याता
जपते रहें
तेरा नाम, तू ही
कृष्ण और राम
॥४॥