Home |Bapuji | Satsang| Amrit Kalash|Audio| Video|Books|Mobile|Downloads

क्या है पूर्णिमा व्रत ?

पूज्य बापूजी पूरे  भारत में कही भी हों, वहां पहुंचकर उनके दर्शन-सत्संग के पश्चात ही  अन्न-जल ग्रहण करने  का दृढ़ संकल्प या पक्का नियम |
भाग्यशाली साधक ही, इस चंचल मन की मायाजाल से बचकर पूनम व्रतधारी व्रत ले, पूज्य सद्गुरु के हर माह की पावन पूर्णिमा को दर्शन-सत्संग लाभ ले पातें है |  धन्य है उनके माता-पिता और उनका कुल जो ऐसे सपूतों को जन्म दिया | स्वयं भवपार हो अपनी २१ पीढ़ियों को तारने का दैवीय सत्कार्य के लिए शारीरिक,मानसिक या आर्थिक कष्ट सहकर भी जो ये  मनुष्य जीवन सार्थक करने में डट गए है |
ऐसी द्रढ़ता वाले साधकों के लिए सद्गुरुदेव पूज्य बापूजी भी स्वयं के कष्टों की परवाह किये बिना 72 वर्ष की उम्र में भी हर पूर्णिमा को हजारों किलोमीटर की यात्रा कर 2-3 स्थानों पर स्वयं पहुँचते है और अपने प्यारे पूर्णिमा व्रतधारियों के संकल्पों की पूर्ति करते है | 

शर्तें :-

कम से कम 6 और अधिक से अधिक आजीवन पूर्णिमा का संकल्प से शुरुवात होती है इस पूर्णिमा व्रत की, जिसकी शर्तों के अनुसार 
१. पूर्णिमा दर्शन का संकल्प कर पूर्णिमा दर्शन कार्यालय से अपनी व्यक्तिगत जानकारी देकर पूर्णिमा दर्शन पास बनवाएं|
२. हर पूर्णिमा को पूर्णिमा दर्शन कार्यालय जाकर अपनी उपस्तिथी अवश्य लगवाएं |
३. वर्ष में ३ पूर्णिमा दर्शन में न जाने पर आपका पूर्णिमा दर्शन रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया जायेगा |

नियम :-

1. पूज्य बापूजी पुरे भारत में कही भी हों, वहां पहुंचकर उनके दर्शन करके ही अन्न-जल ग्रहण करना है | 
2. पूज्य बापूजी की ओर से विशेष आज्ञा होने की स्तीथी में उसी के अनुसार नियम पालन करना है 
3. जितनी पूर्णिमा दर्शन का संकल्प है, उतना तो अवश्य जाना ही है | यदि बीच में किसी कारणवश नहीं जा सकें तो  
    निकटम आश्रम में जाकर बड़दादा की परिक्रमा कर पूर्णिमा दर्शन के संकल्प पूर्ति हेतु प्रार्थना करें | तत्पश्चात पूरी  
    गुरुगीता का पाठ करके ही अन्न-जल ग्रहण करें या व्रत रखें  |

लाभ :-

1. 'चमत्कार को नमस्कार ' वाले इस कलियुग में  पूज्य बापूजी के पूर्णिमा दर्शनार्थियों की संख्या 30 हजार से भी अधिक 
     है | कारण यह है, कि जिसने भी जो शुभ संकल्प लेकर पूर्णिमा दर्शन की शुरुवात की उसकी मनोकामना तो अवश्य पूर्ण 
     हुई ही साथ ही ऐसे अनुभव भी हुए कि उनमे से अनेकों आजीवन पूर्णिमा व्रतधारी बन गए | 
2. बीमारों की बीमारियाँ छू हो गयी, नौकरी-धधों में आफत वालों की आफत को आफत हो गयी, घर के झगडे-कलह शांति 
    में बदल गए, घर परिवार में खुशियों की बहार लौट आयीं आदि आदि ऐसे चमत्कारिक परिणाम पूर्णिमा दर्शनार्थियों  
    को मिले  है, कि उनकी लिस्ट से यह पेज शायद एक मोटी किताब बन जायेगा |
3. सत्साश्त्रों में आता है कि ब्रह्मज्ञानी संत के दर्शन से क्या मिलता है - 
दुर्लभ मानुषो देहो देहीनां क्षणभंगुरः।
तत्रापि दुर्लभं मन्ये वैकुण्ठप्रियदर्शनम्।।1।।
मनुष्य-देह मिलना दुर्लभ है। वह मिल जाय फिर भी क्षणभंगुर है। ऐसी क्षणभंगुर मनुष्य-देह में भी भगवान के प्रिय संतजनों का दर्शन तो उससे भी अधिक दुर्लभ है।

4. कबीर जी ने अपने अनुभवों से कहा है -
कबीर सोई दिन भला जो दिन साधु मिलाय। अंक भरै भरि भेंटिये पाप शरीरां जाय।।
कबीर दरशन साधु के बड़े भाग दरशाय। जो होवै सूली सजा काटै ई टरी जाय।।
सातैं दिन नहीं करि सकै पाख पाख करि लेय। कहै कबीर सो भक्तजन जनम सुफल करि लेय।।
पाख पाख नहीं करि सकै मास मास करु जाय। ता में देर न लाइये कहै कबीर समुझाय।।

Loading upcoming poornima tithis..

Loading upcoming poornima tithis..

Poornima Festivas

Wallpapers

From Guru Darshan Wallpapers
From Guru Darshan Wallpapers
From Guru Darshan Wallpapers

Audio

Gurupoonam Ka Vandan

Video