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तरूणों का आवाहन

उठे देश का तरूण वर्ग, जागृति का मार्ग प्रशस्त करे।

शून्य चेतना है समाज की, हीन ग्रन्थियाँ ध्वस्त करे।।

पशुवत जीवन आज हो रहा, चारों ओर लगी है आग।

स्वार्थपूर्ण सारा समाज है, मची हुई है भागम भाग।

राग द्वेष हिंसा का ताण्डव, वृत्ति आसुरी छाई है।

लोभ मोह में डूबे सारे, ऐसी आँधी आयी है।

भ्रातृभाव भरकर समाज में, जन गण को आश्वस्त करे।

उठे देश का तरूण वर्ग....

कायरता की खाल ओढ़ यह भेड़ सदृश क्यों होता है।

अन्यायों का ढेर लग रहा और पड़ा यह सोता।

परिवारों को क्यों यह भूला जाता है।

क्यों निज घर परिवार मात्र में सिमट बड़ा सुख पाता है।

परिवारों की परिधि बढ़े, दुर्जन समूह को त्रस्त करे।

उठे देश का तरूण वर्ग....

वीरो ! तुम किसके वंशज हो, कितनी अपनी शान थी।

निज अतीत को याद करो तुम, अपनी जाति महान थी।

विषय विलासों से मुँह मोड़ो, निज गरिमा में जागो तुम।

संत और विद्वतजन से अति प्रेम करो, अनुरागो तुम।

दिव्य प्रेरणा पा उनसे, अपना संगठन सशक्त करे।

उठे देश का तरूण वर्ग.....

छैल छबीला भोगी जीवन, इससे तुम क्या पाओगे।

मृत्यु कण्ठ पकड़ेगी जिस दिन, अति निराशा तुम जाओगे।

क्षणिक सुखों की मृग मरिचिका, में खुद को उलझाओगे।

यह अमूल्य मानव जीवन, सोचो क्या व्यर्थ गवाँओगे ?

निजानन्द रस पियें युवक, सारे समाज को मस्त करें।

उठे देश का तरूण वर्ग....

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परम पूज्य संत श्री आसाराम जी द्वारा प्रेरित

युवा सेवा संघ

मार्गदर्शिका

प्रस्तावना

पिछले कई वर्षों से असंख्य युवानों ने पूज्य बापू जी के सम्पर्क में आकर अपने जीवन में आश्चर्यजनक उन्नति की है और आज भी कर रहे हैं। जीवन में उत्तम संग, सत्साहित्य का अध्ययन, निष्काम कर्मयोग तथा महापुरुषों का मार्गदर्शन हो तो हमारे लिए अपना लक्ष्य प्राप्त करना आसान हो जाता है। परंतु आज के कम्पयूटर एवं विज्ञान युग में दौड़ भाग का स्पर्धात्मक जीवन जीने वाले युवकों को ये चारों चीजें इकट्ठी प्राप्त होना बड़ा ही दुर्लभ संयोग होगा।

युवकों के लिए यह दुर्लभ संयोग सुलभ बनाने हेतु परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू की पावन प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से देश-विदेश में 'युवा सेवा संघ' का गठन किया जा रहा है। जागरूक व जिज्ञासु युवा जगत को इन युवा संघों के उद्देश्य, विशेषताएँ तथा सेवाप्रणाली के विषय में विस्तृत मार्गदर्शन देने हेतु यह 'युवा सेवा संघ मार्गदर्शिका प्रस्तुत कर रहे हैं।

हमें पूरा विश्वास है कि आपको इस मार्गदर्शिका के द्वारा 'युवा सेवा संघ' की सम्पूर्ण सेवा प्रणाली स्पष्ट हो जायेगी और आप भी अपने क्षेत्र में 'युवा सेवा संघ' को कार्यान्वित करने के लिए तत्परता से कदम आगे बढ़ायेंगे।

श्री योग वेदान्त सेवा समिति,

अमदावाद।

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युवा सेवा संघ

एक परिचय....

मनुष्य जीवन की वास्तविक माँग है सुख और इस सुख को पाने के लिए आज बुद्धिजीवियों ने कितने ही वैज्ञानिक आविष्कार कर दिये परंतु इन आविष्कारों से हम साधन-सुविधाओं के गुलाम बनते गये। हर तरफ इन सुविधाओं को पाने की होड़ लगी हुई है। इन्हें पाने की चिंता में ही जीवन तनावग्रस्त हो गया है। हो भी क्यों नहीं ? क्योंकि कभी न मिटने वाले शाश्वत सुख का खजाना तो ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के सत्संग व उनकी सेवा से ही मिलता है। वर्तमान में ऐसे सदभागी कम नहीं हैं जो ऐसे महापुरुषों को पहचान कर उनसे लाभान्वित होते हैं।

पूज्य बापू जी के सत्संग से, मंत्रदीक्षा से एवं उनके दैवी कार्यों में जुड़ने से करोड़ों लोग अपने जीवन में सुख, शांति व धन्यता का अनुभव कर रहे हैं। देश-विदेश के अनगनित युवा पूज्यश्री की प्रेरणा व मार्गदर्शन से अपना जीवन तेजस्वी बना रहे हैं। चाहे शैक्षणिक क्षेत्र हो, चाहे वैज्ञानिक, चाहे संगीत का क्षेत्र हो, चाहे आध्यात्मिक या फिर व्यावहारिक जगत ही क्यों न हो, हर क्षेत्र में पूज्य श्री से जुड़ा युवावर्ग सदाचार, सहिष्णुता एवं दृढ़ आत्मविश्वास के साथ प्रगतिपथ पर आगे बढ़ रहा है।

देश विदेश के अधिकतम युवाओं को पूज्य बापू जी के दिव्य आध्यात्मिक मार्गदर्शन का लाभ दिलाने हेतु तथा आत्मोन्नति के साथ-साथ समाजसेवा का दोहरा लाभ दिलाने हेतु 'युवा सेवा संघ' सतत कार्यशील रहेगा। आज के युवाओं के लिए वह युवा संघ वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा दूरदर्शिता से परिपूर्ण भारतीय संस्कृति को समझने तथा उसके अनुसार जीवन को उन्नत बनाने की कला सीखने का माध्यम बनेगा। साथ ही युवानों के जीवन में यह एक सच्चे हितैषी मित्र एवं उत्तम मार्गदर्शक की भूमिका अदा करेगा।

इसका कार्यक्षेत्र तीन स्तरों में रहेगाः

प्रथम स्तरः केन्द्रीय युवा संघ (मुख्यालय)

द्वितीय स्तरः राज्यप्रमुख युवा संघ

तृतीय स्तरः क्षेत्रीय युवा संघ

उद्देश्य.....

युवाओं के जीवन में एक सच्चे हितैषी एवं उत्तम मार्गदर्शक मित्र की भूमिका निभाना।

संयम, सदाचार, चारित्र्यसम्पन्नता, परोपकार, निर्भयता, आत्मविश्वास आदि दैवी गुणों का युवाओं में विकास करना।

युवाओं को आश्रम द्वारा संचालित विभिन्न सेवाकार्यों में जोड़कर राष्ट्रोन्नति के कार्य में सक्रिय योगदान देना।

युवाओं को परिवार, समाज एवं राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार, कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाना।

भारतीय संस्कृति के सिद्धान्तों का अध्ययन करने के बाद उनकी वैज्ञानिकता व तर्कसम्मतता को देखकर आधुनिक वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो रहे हैं। ऐसी महामयी भारतीय संस्कृति को समझने-समझाने में तथा उसके प्रचार-प्रसार में सहयोगी बनना।

'युवा सेवा संघ' के माध्यम से निष्काम सेवा करते हुए मनुष्य जीवन के परम लक्ष्य ईश्वरप्राप्ति की ओर अग्रसर होना।

विशेषताएँ....

पूज्यबापू जी से मंत्रदीक्षित युवाओं द्वारा युवा संघ का संचालन।

जीवन की कठिनाइयों का धैर्य एवं निडरता से सामना करने की क्षमता का विकास।

युवावर्ग के लिए हितकारी पूज्य बापू जी के सत्संग प्रवचनों तथा अन्य महापुरुषों के उपदेशों का संकलन प्रदान करना।

युवा उत्थान शिविर, युवाओं के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न सेवा अभियान, जिज्ञासु युवाओं को विशेष मार्गदर्शन।

'संस्कार सभा' के माध्यम से युवकों में छुपी प्रतिभा का विकास।

अपने जीवन को उन्नत बनाने के इच्छुक युवक, जिन्हें पूज्य बापू जी से मंत्रदीक्षा नहीं मिली हो, वे 'संस्कार सभा' के माध्यम से लाभान्वित होकर 'क्षेत्रिय युवा सेवा संघ' से जुड़ सकते हैं।

केन्द्रीय युवा संघ (मुख्यालय).....

युवा सेवा संघ का मुख्यालय 'केन्द्रीय युवा सेवा संघ' के नाम से जाना जायेगा। विश्व भर में युवा सेवा संघ की गतिविधियों का संचालन युवा सेवा संघ मुख्यालय, अखिल भारतीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति, संत श्री आसाराम जी आश्रम, अमदावाद से होगा।

राज्यप्रमुख युवा संघ....

राज्य के सभी क्षेत्रीय युवा संघों में से किसी एक क्षेत्रीय युवा सेवा संघ को 'राज्यप्रमुख युवा संघ' के रूप में घोषित किया जायेगा, जिसका चयन केन्द्रीय युवा संघ करेगा। चयन प्रणाली आगे दी है। राज्यप्रमुख युवा संघ का नाम इस प्रकार रहेगा। जैसेः उत्तरप्रदेश युवा संघ।

क्षेत्रीय युवा संघ.....

केन्द्रीय युवा संघ की सदस्यता (Membership) प्राप्त किये हुए युवकों द्वारा देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में 'केन्द्रीय युवा संघ' के निर्देशानुसार जिन युवा सेवा संघों का संचालन होगा, उन्हें 'क्षेत्रीय युवा संघ' कहेंगे। क्षेत्रीय युवा संघ के नाम ग्राम/शहर के नाम पर रहेंगे। जैसेः युवा सेवा संघ भोपाल।

क्षेत्रीय युवा सेवा संघ का गठन कैसे करें ?

जिन साधक भाइयों ने पूज्य श्री से मंत्रदीक्षा ली हो, वे साधक भाई आपस में एकत्रित होकर स्थान, समय निश्चित करके दो तीन बैठक कर लें, जिससे सभी आपस में एक दूसरे का परिचय प्राप्त कर सके। दूसरी/तीसरी बैठक के अन्त में मुख्यालय को फोन करके मार्गदर्शन प्राप्त करें व मुख्यालय के निर्दशानुसार कार्यकारिणी का गठन करें। इस मार्गदर्शिका का ध्यानपूर्वक अध्ययन करके सर्वसम्मति से कार्यकारिणी के सभासदों का चयन करें। चयन के पश्चात् सभी सभासद स्थानीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति से विचार-विमर्श करके मार्गदर्शिका की प्रति स्थानीय समिति व स्थानीय आश्रम-संचालक को दें।

तत्पश्चात् इस मार्गदर्शिका के अंत में दिया गया 'संघ आवेदन पत्र' भरें। समिति द्वार मार्गदर्शिका का पूर्ण अध्ययन करने पर उनसे 'समिति सहकार पत्र' भरवायें। यह 'संघ आवेदन पत्र' फैक्स या ई-मेल द्वारा मुख्यालय में भेजें। उसके बाद सभी 'संस्कार सभा' शुरू करने हेतु इस मार्गदर्शिका में दिये गये 'संस्कार सभा' प्रकरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा सभा शुरु होने पर नियमित रूप से सभा का स्वयं भी लाभ लें व औरों को भी दिलायें।

आपके भेजे हुए 'संघ आवेदन पत्र' की जाँच के उपरान्त अमदावाद मुख्यालय द्वारा आपके क्षेत्रीय युवा संघ को 'संघ कोड नं.' प्राप्त होगा।

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युवा सेवा संघ के सदस्य हेतु नियम

युवा सेवा संघ से जुड़ने पर युवान को अपना चरित्र उज्जवल रखना आवश्यक है, जिससे समाज उसको आदर्श युवा के रूप में देखे।

शराब, तम्बाकू, सिगरेट आदि किसी भी प्रकार  नशा युवान के लिए निषिद्ध होगा।

उन्नत विचारों का आश्रय लेकर अपने शरीर को स्वस्थ एवं मजबूत तथा मन को प्रसन्न व उत्साही रखें।

'दिव्य प्रेरणा प्रकाश' ग्रन्थ का कम से कम पाँच बार पठन आवश्यक है।

आपके क्षेत्र में क्षेत्रीय युवा संघ का गठन होने पर उसका सदस्य अवश्य बनें।

क्षेत्रीय युवा संघ के द्वारा आयोजित होने वाली 'संस्कार सभा' में अवश्य भाग लें। 10 सभाओं की उपस्थिति के बाद ही सदस्य को पहचान पत्र (Identity Card) व ग्रंथालय की सदस्यता (Library Membership) दी जायेगी, साथ ही उसके मोबाईल पर तीन महीने की 'आश्रम SMS सेवा' सुविधा दी जायेगी।

युवा सेवा संघ का सदस्य होने पर पूज्य बापू जी के सान्निध्य में आयोजित होने वाले, 'युवा उत्थान शिविर', ध्यान योग शिविर का वर्ष में एक बार लाभ अवश्य लें।

सदस्यता 'पहचान पत्र' होने पर उस सदस्य को विशेष बैठक व्यवस्था का लाभ मिलेगा। पूज्य श्री के समक्ष आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी का सुअवसर भी मिल सकता है।

'युवा सेवा संघ' के माध्यम से होने वाली सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक प्रवृत्तियों में उत्साहपूर्वक भाग लें।

आपके क्षेत्र में 15 से अधिक सदस्य होने पर ही 'क्षेत्रीय युवा संघ' का गठन किया जायेगा। यदि आपकी जानकारी में 15 से अधिक सदस्य हैं और क्षेत्रीय युवा सेवा संघ का गठन नहीं हुआ है तो मुख्यालय को शीघ्र सूचित करें।

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क्षेत्रीय युवा सेवा संघ के नियम

पूज्य बापू जी से मंत्रदीक्षित युवाओं द्वारा क्षेत्रीय युवा संघ का संचालन होगा।

क्षेत्रीय युवा संघ की सदस्यता ग्रहण करते समय सदस्यता शुल्क 60/- रहेगा। शुल्क जमा करने पर सदस्य को क्षेत्रीय युवा संघ के द्वारा अस्थायी पहचान पत्र प्राप्त होगा। ( 60/- शुल्क उन्हीं से लेना है जिन्हें केन्द्रीय युवा संघ से सदस्यता-क्रमांक प्राप्त हुआ हो।)

सदस्य को 10 संस्कार सभाओं में उपस्थित रहने पर केन्द्रीय युवा संघ द्वारा 'पहचान पत्र' (Identity Card) प्राप्त होगा, साथ ही उसके मोबाईल पर तीन महीने की आश्रम SMS सेवा  शुरू की जायेगी और क्षेत्रीय युवा संघ के ग्रंथालय की सदस्यता दी जायेगी।

पहचान पत्र प्राप्त होने पर सदस्य को प्रतिमाह कम से कम दो संस्कार सभाओं में उपस्थित रहना आवश्यक है। एक वर्ष के बाद उपस्थिति के आधार पर ही पहचान पत्र रिन्यू किया जायेगा।

क्षेत्रीय युवा संघ के प्रत्येक सदस्य की मुख्य जिम्मेदारी रहेगी कि युवा संघ के सेवाकार्यों द्वारा होने वाले लाभ से अधिक से अधिक युवकों को परिचित कराये व उन्हें भी युवा संघ से जुड़ने हेतु प्रेरित करे।

आपके क्षेत्र के जिन युवकों को पूज्य श्री से मंत्रदीक्षा नहीं मिली हो, उन्हें संस्कार सभा के माध्यम से ही युवा संघ में प्रवेश मिलेगा। ऐसे उत्साही व जिज्ञासु युवकों की प्रवेश-सूची अपने पास ही रजिस्टर में बनायें।

यदि इनमें से कोई युवान आगे चलकर पूज्य श्री से मंत्रदीक्षित होता है तो उसका सदस्यता आवेदन पत्र भरवा के मुख्यालय में भेजें।

युवा सेवा संघ के सभी सदस्यों का यह नैतिक कर्तव्य होगा कि अपने क्षेत्र की स्थानीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति को मजबूत बनायें और आपस में सामंजस्य रखते हुए पूज्य श्री के दैवी कार्यों को तीव्र गति से आगे बढ़ायें।

पूज्य बापू जी के सान्निध्य में युवाओं हेतु आयोजित होने वाले विशेष शिविरों का अधिक से अधिक युवाओं को लाभ मिले, इस हेतु युवा संघ का प्रत्येक सदस्य सदैव तत्पर रहे।

स्थानीय आश्रम, समिति द्वारा मनाये जाने वाले उत्सव, पर्व को अलग से न मनायें, अपितु युवा संघ – सदस्य समिति/आश्रम की सम्मति से अपनी सेवायें सुनिश्चित करके उत्सव, पर्वादि के उन्हीं आयोजनों में उत्साहपूर्वक सहभागी बनें।

यदि युवा संघ के कुछ सदस्य आश्रम की बाल संस्कार, ऋषि प्रसाद, लोक कल्याण सेतु आदि सेवाओं से जुड़े हैं तो वे उन सेवाओं को और अधिक उत्साह व तत्परता से कर सकें, इसके लिए क्षेत्रीय युवा संघ सदैव प्रयत्नशील रहे।

युवा सेवा संघ की सेवाप्रणाली में दिये गये सेवाकार्यों को सुचारू रूप से करें। उससे पूर्व स्थानीय समिति, आश्रम को सूचना देकर उनसे विचार विमर्श करें।

संस्कार सभा में नियमित रूप से उपस्थित रहने वाले युवक को ही ग्रंथालय(Library) की सदस्यता मिलेगी। युवक को ग्रंथालय के सभी नियमों को पालन करना अनिवार्य होगा।

ग्रन्थालय की नियमावलीः

साहित्य व सी.डी. आदि के लेन-देन हेतु एक रजिस्टर बनायें।

ग्रंथालय का मासिक शुल्क 10/- रहेगा। जो महीने की प्रथम 'संस्कार सभा' में भरना आवश्यक होगा।

युवक एक समय में दो पुस्तक व एक सी.डी. अथवा दो सी.डी.व एक पुस्तक 14 दिन के लिए घर ले जा सकेंगे।

पुस्तक या सी.डी. 14वें दिन जमा न होने पर प्रतिदिन का प्रति पुस्तक 1/- व प्रति सी.डी. 3/- विलम्ब शुल्क (Late fee) रहेगा।

पुस्तक व सी.डी. खो जाने या खराब होने पर सदस्य को उसका पूरा मूल्य चुकाना होगा।

साहित्य, सी.डी. आदि का लेन-देन संस्कार सभा की पूर्णाहूति के बाद करें।

ग्रंथालय से सामग्री लेने वाले युवक साहित्य, सी.डी. आदि का स्वयं भी लाभ लें व औरों को भी दिलायें।

युवा सेवा संघ-सदस्य द्वारा व्यक्तिगत जीवन में यदि कोई गैरकानूनी हरकत होती है तो उसका जिम्मेदार वह स्वयं होगा। ऐसी कोई बात सामने आने पर तत्काल उसकी सदस्यता रद्द मानी जायेगी। युवा संघ प्रभारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि त्वरित मुख्यालय को इस बात की सूचना दें तथा मुख्यालय से प्राप्त निर्देशों का पालन करें।

युवा संघ के किसी भी विषय में परामर्श, सुझाव, समस्या-निवारण हेतु युवा संघ के सदस्य पत्रव्यवहार, फोन, ई-मेल आदि द्वारा मुख्यालय का सम्पर्क अवश्य करें।

अपने क्षेत्रीय युवा संघ को राज्य प्रमुख युवा संघ बनाने हेतु सभी युवान सदैव उत्साही व प्रयत्नशील रहें।

युवा संघ के सभी सदस्य राज्य के वार्षिक युवा संघ सम्मेलन में सहभागी होकर अपने क्षेत्रीय युवा संघ का गौरव बढ़ायें।

युवा संघ के सभी सदस्य कोई भी कार्य आवेश में आकर न करें, अपितु शांति व गम्भीरतापूर्वक परिस्थिति अनुकूल समाधान निकालें अथवा मुख्यालय से सम्पर्क कर मार्गदर्शन प्राप्त करें।

युवा संघ की प्रवृत्तियों के दौरान किसी भी प्रकार का अशिष्ट व्यवहार एवं नियम-विरूद्ध आचरण स्वीकार्य नहीं होगा।

मुख्यालय द्वारा समय-समय पर दिये जाने वाले निर्देश सभी युवा संघ-सदस्यों के लिए मान्य होंगे।

किसी भी प्रकार के मामले में सम्पूर्ण जाँच के उपरान्त मुख्यालय द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम व सर्वमान्य होगा।

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अपने युवा संघ को राज्य प्रमुख

युवा संघ कैसे बनायें ?

'राज्य प्रमुख युवा संघ' यह राज्य के क्षेत्रीय युवा संघ को मिला प्रोत्साहन व उस युवा संघ के सदस्यों को अपनी प्रतिभा को सेवा के द्वारा विकसित करने का सुअवसर है।

राज्य के सभी क्षेत्रीय युवा संघों के चार मासिक सेवाकार्यों के विवरण के आधार पर सर्वाधिक सफलता प्राप्त करने वाले युवा संघ को 'राज्य प्रमुख युवा संघ' चुना जायेगा।

'सेवाकार्य विवरण' में मुख्यरूप से निम्नलिखित सेवाओं का समावेश होः

नजदीकी क्षेत्र में समिति व मंत्रदीक्षि युवकों को प्रेरित करके 'युवा सेवा संघ' शुरु करवाना।

संस्कार सभाओं का नियमितरूप से आयोजन करना।

सेवाप्रणाली में दिये हुए सेवाकार्यों को सफलतापूर्वक करना।

श्री योग वेदान्त सेवा समिति के सेवा-विवरण में प्रशंसनीय स्थान पाना।

क्षेत्र अनुरूप अन्य सेवाकार्यों को करना आदि।

राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा होने पर आवश्यकतानुसार उसे जिलों के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जायेगा। जैसेः पूर्व मंडल व पश्चिम मंडल या उत्तर मंडल व दक्षिण मंडल। ये मंडल अथवा राज्य 'राज्यप्रमुख युवा संघ' कार्यक्षेत्र रहेंगे।

राज्यप्रमुख युवा संघ चुने जाने पर उसका कार्यकाल तीन महीने का होगा। उसकी सेवाप्रणाली आगे दी है। तीन महीने के बाद अन्य क्षेत्रीय युवा संघों में से एक को उपरोक्त पद्धति से राज्यप्रमुख युवा संघ चुना जायेगा। इस प्रकार वर्ष भर में तीन क्षेत्रीय युवा संघ राज्यप्रमुख बनेंगे।

राज्यप्रमुख युवा संघ की सेवाप्रणाली अनुसार त्रैमासिक सेवा विवरण के आधार पर उस राज्य/राज्यमंडल के सर्वोत्तम क्षेत्रीय युवा संघ का चुनाव केन्द्रीय युवा संघ करेगा। चुने गये 'सर्वोत्तम क्षेत्रीय युवा संघ' की घोषणा उस राज्य के वार्षिक युवा संघ सम्मेलन' में की जायेगी। सभी राज्यों में से चुने गये सर्वोत्तम क्षेत्रीय युवा संघों को तथा सम्बन्धित स्थानीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति को पूज्य बापू जी के पावन करकमलों द्वारा पुरस्कार प्राप्त होगा।

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क्षेत्रीय युवा संघ से 'सर्वोत्तम क्षेत्रीय युवा संघ

की चयन प्रक्रिया

क्षेत्रीय युवा संघ से 'राज्य प्रमुख युवा संघ'-

क्षेत्रीय युवा सेवा संघ को अपने सेवाकार्यों के 'चौमासिक सेवा विवरण' निम्नलिखित समयावधि में भेजने हैं-

1 अगस्त से 30 नवम्बर का विवरण 5 दिसम्बर तक।

1 दिसम्बर से 31 मार्च का विवरण 5 अप्रैल तक।

1 अप्रैल से 31 जुलाई का विवरण 5 अगस्त तक।

उपरोक्त समय अवधि में विवरण प्राप्त होने पर केन्द्रीय युवा संघ की चयन पद्धति के अनुसार क्रमशः 31 दिसम्बर, 30 अप्रैल व 31 अगस्त तक तीन 'राज्यप्रमुख युवा संघ' घोषित किये जायेंगे।

केन्द्रीय युवा संघ द्वारा वर्ष भर में घोषित किये गये तीन 'राज्यप्रमुख युवा संघ' क्रमशः क, ख, ग रहेंगे। उनका कार्यकालः

जनवरी से मार्च, मई से जुलाई, सितम्बर से नवम्बर।

राज्यप्रमुख युवा संघ से 'सर्वोत्तम क्षेत्रीय युवा संघ'-

राज्यप्रमुख युवा संघ को अपने सेवाकार्यों के त्रैमासिक सेवा विवरण निम्नलिखित समयावधि में भेजते हैं-

1 जनवरी से 31 मार्च का विवरण 4 अप्रैल तक।

1 मई से 31 जुलाई का विवरण 5 अगस्त तक।

1 सितम्बर से 30 नवम्बर का विवरण 5 दिसम्बर तक।

उपरोक्त समयावधि में विवरण प्राप्त होने पर केन्द्रीय युवा संघ की चुनाव-पद्धति अनुसार 'सर्वोत्तम क्षेत्रीय युवा संघ' का चुनाव किया जायेगा।

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संस्कार सभा

'संस्कार सभा' युवाओं के आत्मविकास एवं आनंदमय जीवन के लिए है। संस्कार सभा की रुपरेखा में दिये गये सभी नियम तथा साधन-विधि भारतीय मनोवैज्ञानिक विश्लेषण से परिपूर्ण है। अतः आप संस्कार सभा में किये जाने वाले नियमों को अपने दैनिक जीवन में आदर व श्रद्धापूर्वक नित्यनियम से करें। इससे आपकी अतुलनीय उन्नति होगी।

संस्कार सभा का समय एक से डेढ़ घंटे का हो। प्रातः 5 से 8 बजे के बीच का समय रखें तो उत्तम है। यह सभा सप्ताह में एक दो बार और पर्व-छुट्टियों के दिनों में भी आयोजित करें। सभा का आयोजन इस प्रकार करें कि अधिक से अधिक युवक इसका लाभ ले सकें।

संस्कार सभा का आदर्शः

एक दूसरे के लिए आदरयुक्त व मधुर वचनों का प्रयोग करें। व्यक्तिगत स्वार्थ, अभिमान, ईर्ष्या, निंदा, कपट आदि दुर्गुणों का संस्कार सभा में कोई स्थान नहीं है।

आपसी प्रेम, भाईचारा, एक दूसरे को प्रोत्साहन देना, मिल-जुलकर निर्णय करना आदि सदगुणों को आत्मसात् कर लें।

व्यर्थ की चर्चा और तर्क-कुतर्क न हो इसका विशेष ध्यान रखें।

पूज्य श्री के दैवी कार्यों का लाभ अधिकतम लोगों तक कैसे पहुँचे, इस पर विचार विमर्श करें।

बीमा कम्पनी के स्वार्थी लोग, एजेंट (दलाल), वकील, डॉक्टर अपनी संस्था का गलत फायदा न उठायें, इसकी सतर्कता अवश्य रखें।

जिन्हें पूज्यश्री से मंत्रदीक्षा प्राप्त हुई हो वे युवक अपनी नियम की सामग्री साथ लेकर आयें।

सभी युवक संस्कार सभा प्रारम्भ होने से पाँच मिनट पहले पहुँचे।

संस्कार सभा की पूर्वतैयारीः

क्षेत्रीय युवा संघ के द्वारा सभा की पूर्वतैयारी की जिम्मेदारी 3-4 युवानों में बाँट दी जाय। सभा हेतु निश्चित किये गये स्थान पर वे युवान सभा के समय से पूर्व पहुँचकर साफ-सफाई, बिछायत बिछाना, तिलक तैयार करना, धूप-दीप, फूल आदि की व्यवस्था करें। पवित्र व ऊँचे आसन पर पूज्यश्री का श्रीचित्र लगायें।

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सभा की रूपरेखा

हरि ॐ गुंजन (11 बार)-

सभी लोग पद्मासन या सुखासन में बैठें। हाथ ज्ञानमुद्रा में रखकर गहरा श्वास भरते हुए हरि ॐ का दीर्घ गुंजन करें।

क्यों ? 'ह्रीं' शब्द बोलने से यकृत पर गहरा प्रभाव पड़ता है और हरि के साथ ॐ मिलाकर उच्चारण किया जाये तो हमारी पाँचों ज्ञानेन्द्रियों पर अच्छा असर पड़ता है। केवल सात बार हरि ॐ का गुंजन करने से मूलाधार केन्द्र में स्पन्दन होते हैं और कई रोगों के किटाणु भाग जाते हैं। मन की चंचलता दूर होती है। इस गुंजन से शरीर में आंदोलन होंगे, रजो-तमोगुण क्षीण होने लगेगा, प्राण तालबद्ध होंगे, मन शांत होगा और आनन्द आने लगेगा।

प्रार्थनाः

सभी मिलकर प्रार्थना करेंगे।

गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।

गुरूर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।

ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामलं गुरोः पदम्।

मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा।।

अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव।।

ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं

द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।

एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं

भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरूं तं नमामि।।

सामूहिक मंत्रजप (5 मिनट)-

प्रति सप्ताह किसी एक भगवन्नाम का सामूहिक उच्चारण करते हुए ताल के साथ जप करें। (देखें- आश्रम से प्रकाशित 'भगवन्नाम जप महिमा' पुस्तक)

क्यों ? प्रभु के वंदन और संकीर्तन में एक स्वर से उठी हुई तुमुल ध्वनियाँ अत्यंत मंगलमयी होती हैं। वातावरण में एक साथ गूँजकर वे अंतरिक्ष की विचार-तरंगों में पवित्र लहरें उत्पन्न करने में समर्थ होती हैं। मोबाईल, रेडियो आदि की तरंगे वायुमंडल में हानिकारक प्रभाव छोड़ती है लेकिन सम्मिलत स्वर से किया हुआ जप पवित्र वायुमंडल को जन्म देकर ऐसा प्रभाव उत्पन्न करता है, जो मानवता के लिए अत्यंत कल्याणकारी है।

शास्त्र एवं सत्साहित्य पठनः

सत्साहित्य का मूल्य रत्नों से भी अधिक है क्योंकि रत्न बाहरी चमक-दमक दिखाता है जबकि सत्साहित्य अंतःकरण को उज्जवल करता है। जैसा साहित्य हम पढ़ते हैं, वैसे ही विचार मन के भीतर चलते रहते हैं और उन्हीं से हमारा सारा व्यवहार प्रभावित होता है। जितने भी महापुरुष हुए है, उनके जीवन पर दृष्टिपात करो तो उन पर किसी न किसी सत्साहित्य की छाप मिलेगी।

जो लोग कुत्सित, विकारी और कामोत्तेजक साहित्य पढ़ते हैं, वे कभी ऊपर नहीं उठ सकते। लेकिन स्वाध्याय अर्थात जीवन में सत्साहित्य के अध्ययन का नियम मन को शांत एवं प्रसन्न रखकर तन को निरोग रखने में सहायक होता है। अतः युवकों में नित्यनियम से सत्साहित्य पठन की आदत डालने हेतु संस्कार सभा में 'श्रीमद् भगवद् गीता' आदि सत्शास्त्रों के पठन का नियम रखा है।

श्रीमद् भगवद् गीता (11 श्लोक अर्थसहित) कोई एक युवक, जिसका उच्चारण स्पष्ट हो, आगे आकर आश्रम की अर्थ एव माहात्म्यसहित वाली श्रीमद् भगवद् गीता में से सर्वप्रथम पहले अध्याय का माहात्म्य पढ़े। फिर कोई दूसरा युवान, जिसका संस्कृत उच्चारण शुद्ध हो, आगे आये और श्लोक पढ़े। वह श्लोक की एक-एक पंक्ति पढ़े, बाकी लोग उसके पीछे-पीछे उच्चारण करें। एक श्लोक पढ़ने पर पहला युवान उस श्लोक का अर्थ पढ़े व बाकी लोग ध्यान से सुनें। इस तरह 11 श्लोकों का पठन हो। इसी प्रकार दूसरे सप्ताह अगले 11 श्लोक पढ़ें। 18 अध्याय पूरे होने पर 'गीता माहात्म्य' पढ़ें व पहले अध्याय से पुनः शुरुआत करें।

दिव्य प्रेरणा प्रकाशः कोई एक युवान आगे आकर दिव्य प्रेरणा प्रकाश ग्रंथ के 1 पेज का पठन करे, बाकी लोग ध्यान से सुनें। इस प्रकार ग्रंथ का पूरा पठन होने पर पुनः आरम्भ से शुरूआत करें। (हर सभा में अलग-अलग युवकों को पढ़ने का अवसर दें।)

मन को सीख, जीवन रसायनः उपरोक्त अनुसार इन सत्साहित्यों के भी 1-1 पेज का पठन करें (समयानुसार ज्यादा पठन भी कर सकते हैं)

आवश्यकतानुसार युवाओं के लिए उपयोगी किसी अन्य सत्साहित्य का 1 पेज अथवा वर्तमान जानकारी पढ़ सकते हैं।

विडियो सत्संगः

पूज्य श्री या श्री सुरेशानन्दजी के सत्संग की वीसीडी 10-15 मिनट तक चलायें व ध्यान से सुनें। सत्संग के बाद 1 मिनट तक मौन एवं शांत बैठकर सुने हुए सत्संग का चिंतन मनन करें। अगले सत्र में इसी वीसीडी से आगे का सत्संग सुनायें। वीसीडी चुनने व चलाने की जिम्मेदारी किसी एक युवक को सौंप दें।

यौगिक प्रक्रियाः (15-20 मिनट)

युवाओं का सर्वांगीण विकास हो, इस उद्देश्य से संस्कार सभा में उनके लिए विशेष लाभदायी विभिन्न यौगिक प्रयोगों का समावेश किया गया है। यौगिक प्रयोगों के नियमित अभ्यास से शरीर स्वस्थ व बलवान, मन प्रसन्न एवं उत्साही तथा बुद्धि कुशाग्र होती है। एकाग्रता, संयम, मनोबल, यादशक्ति एवं आत्मविश्वास का अदभुत विकास होता है। रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है और सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ होता है।

नीचे दिये हुए आसन, प्राणायाम आदि यौगिक प्रयोगों की विधि एवं लाभ की जानकारी के लिए आश्रम के सत्साहित्य का उपयोग करें।

योगासनः युवाओं के लिए विशेष उपयोगी योगासन विधिवत करें (जैसे – पादपश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, ताड़ासन, ब्रह्मचर्यासन, पादांगुष्ठासन, पद्मासन, वज्रासन आदि।

संस्कार सभा में आसन शुरू करने से पूर्व उस आसन के नियम, विधि व लाभ सबको पढ़ के सुनायें। युवा संघ में यदि कोई युवान योगासनों की अच्छी जानकारी रखता हो तो वह आगे आकर सभी से आसन करवा ले। दो सभाओं में एक ही आसन दोहरायें। सभा में नये युवक के प्रवेश लेने पर तीन चार सभाओं तक उससे सरल आसन ही करवायें।

कुछ सभाओं के बाद योगासनों के पहले सूर्यनमस्कार का अभ्यास करवायें। सर्वप्रथम उसकी विशेषता एवं लाभ सबको पढ़के सुनायें।

टंक-विद्या, बुद्धिशक्ति-मेधाशक्तिवर्धक प्रयोगः योगासन के बाद ये दो प्रयोग विधिवत करवायें। प्रथम इनके लाभ पढ़ के सुनायें।

प्राणायामः संस्कार सभा में प्राणायाम शुरू करने से पूर्व प्राणायाम के लाभ, नियम व परिचय आदि सबको पढ़के सुनायें। आरम्भ में नाड़ीशोधन प्राणायाम करवायें। बायें नथुने से गहरा श्वास लेकर दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़ें। फिर दायें नथुने से गहरा श्वास लेकर बायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़ें। यह एक प्राणायाम हुआ, ऐसे 5-7 बार करें।

अंतर्कुम्भक-बाह्याकुम्भकः पद्मासन या सुखासन में सीधे बैठें। दोनों नथुनों से खूब गहरा श्वास लें। जितनी देर सम्भव हो अंदर ही रोके रखें। फिर धीरे-धीरे छोड़ें। दो चार बार सामान्य श्वास-प्रश्वास करें। फिर पूरा श्वास खाली करके जितनी देर सम्भव हो बाहर ही रोके रखें। तत्पश्चात दो चार बार फिर से सामान्य श्वास-प्रश्वास करें। यह एक प्राणायाम हुआ। ऐसे तीन प्राणायाम करें। धीरे-धीरे कुम्भक की अवधि बढ़ाकर अंतर्कुम्भक 60 से 75 सैकेण्ड तक बाह्याकुम्भक 30 से 45 सैकेण्ड तक करें।

नोटः संस्कार सभा में तीन ही प्राणायाम करने हैं लेकिन घर पर नित्यनियम में धीरे-धीरे बढ़ाकर 5 से 10 प्राणायाम कर सकते हैं।

वक्तृत्व कौशल्य का विकास (Oratory) (15 मिनट)-

शैक्षणिक, व्यावहारिक जीवन में सफलता पाने का एक महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक पहलू है 'कुशल वक्तृत्व'। कई युवानों में कुछ विशेष योग्यता होते हुए भी वक्तृत्व कला के अभाव में उन्नति के अवसर चूक जाते हैं। इसलिए संस्कार सभा में वक्तृत्व का अभ्यास सम्मिलित किया गया है, ताकि युवाओं में अपने विचार औरों को समझाने की योग्यता निखर उठे तथा वे निर्भयता एवं आत्मविश्वास से परिपूर्ण बनें।

संस्कार सभा के स्थायी सदस्यों को (जिन्हें केन्द्रीय युवा संघ से सदस्यता-क्रामांक प्राप्त हो) इसमें भाग लेना अनिवार्य है। सभा के अस्थायी युवानों में से जिनकी रूचि हो वे भाग ले सकते हैं। इसमें वक्तृत्व के लिए तय किये गये विषय पर आगे आकर तीन-तीन मिनट बोलना है।

हर तीन सभाओं के बाद वक्तृत्व का विषय बदल दें। एक सप्ताह पूर्व ही सभा में उसकी जानकारी दें। वक्तृत्व का विषय आध्यात्मिक या महान पुरुषों के जीवनचरित्र पर आधारित हो।

एक सभा में पाँच युवक बोलेंगे, बाकी अगले सप्ताह लेकिन कौन-से पाँच बोलेंगे यह पूर्वनिर्धारित नहीं करें। इसके लिए सभी युवानों के नाम लिखकर एक बॉक्स में डालें। वक्तृत्व के समय उसमें से एक चिट्ठी निकालें। चिट्ठी में जिसका नाम हो वह युवक आगे बढ़कर वक्तृत्व दे। जो चिट्ठी एक बार निकाली गयी उसे अलग से रख दें, ताकि तीन सभा तक उसी विषय पर उस युवक की बारी दुबारा न आये। इस प्रकार हर सभा में आने से पूर्व वे सभी लोग वक्तृत्व की तैयारी करेंगे, जिनकी बारी आना बाकी है। विषय के बदलने पर पुनः सबके नाम की चिट्ठियाँ बॉक्स में डालें।

विषय चुनना, चिट्ठियाँ बनाना आदि की जिम्मेदारी किन्हीं दो युवानों को सौंप दें।

समूह चर्चा (Group Discussion) (10 मिनट)-

वक्तृत्व कला की तरह समूह चर्चा में सम्मिलित होना भी एक महत्त्वपूर्ण कला है। कुछ लोगों के बीच किसी एक विषय पर अपनी बात रखना तथा उनकी बातों को समझना और इस प्रकार चर्चा करते हुए अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने हेतु समूह चर्चा का समावेश सभा में किया गया है।

इसमें संयम, ब्रह्मचर्य तथा महापुरुषों के जीवन पर चर्चा करें। सभा की आरम्भिक गतिविधियों में जो कुछ पढ़ा, सुना, समझा उस पर विचार विमर्श करें। शास्त्रपठन एवं पूज्यश्री के सत्संग से क्या सीख ली ? सारी गतिविधियों में कौन सी चीज सबसे अच्छी लगी और क्यों ? आदि बातें सबके सामने रख सकते हैं।

इसमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें-

व्यर्थ की चर्चा व गपशप न हो। एक समय एक ही व्यक्ति बोले, बाकी लोग शांतिपूर्वक उसे सुनें। एक दूसरे की बात काटने की अपेक्षा अपना अनुभव सामने रखें। समय मर्यादा का ध्यान रखें।

भारतीय संस्कृति का अध्ययन (10 मिनट)-

भारतीय संस्कृति से सिद्धान्त व परम्पराएँ पुरातन होने के बावजूद सनातन है। वे आज के इस विज्ञान एवं कम्पयूटर युग में भी उतने ही सत्य एवं प्रमाणसिद्ध हैं जितना कि प्राचीन काल में थे। उस समय भारतीयों ने इनका अनुसरण करके जो लाभ उठाया, वही लाभ आज भी आचरण करने से मिलता है। यह बात केवल कहने या लिखने भर की नहीं है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों से भारतीय संस्कृति पर हो रहे वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा प्रमाणित भी है। ऐसे ही विज्ञानसम्मत सनातन सिद्धान्तों की चर्चा इस सत्र में की जायेगी।

इसमें प्रति सप्ताह भारतीय संस्कृति के किसी सिद्धान्त पर अथवा उत्सव, पर्व आदि पर सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक विश्लेषण किया जायेगा। जैसेः ॐकार की महिमा। इसमें भारतीय संस्कृति '' के विषय में क्या कहती है और वैज्ञानिकों ने कैसे उसकी पुष्टि की है यह बताया जायेगा। अगले सप्ताह में आने वाले उत्सव, पर्व आदि का विश्लेषण भी इसमें होगा।

प्रार्थना व पूर्णाहूतिः

सभा के अंत में 'हे प्रभु ! आनन्ददाता !!' प्रार्थना का सामूहिक पाठ को (देखें पेज-32)। फिर निम्न मंत्रों का उच्चारण करके सभा की पूर्णाहूति करें।

'ॐ सहनाववतु... सहनौ भुनक्तु... सहवीर्यं करवावहै...

तेजस्वीनावधीतमस्तु... मा विद्विषावहै.... ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।'

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्चयते।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।

संस्कृत अध्ययन (15 मिनट)-

सभा की पूर्णाहूति के बाद सभी युवक संस्कृत का अध्ययन करें (जिन्हें जाना आवश्यक हो, वे जा सकते हैं)। यदि युवा संघ का कोई सदस्य संस्कृत का जानकार हो तो वह बाकी लोगों की संस्कृत का प्रारम्भिक अध्ययन करवा दे। इससे लिए संस्कृत की किसी स्वाध्यायमाला का उपयोग भी कर सकते हैं।

क्यों ? संस्कृत का अध्ययन मनुष्य को सूक्ष्म विचारशक्ति प्रदान करता है तथा मौलिक चिंतन को जन्म देता है। संस्कृत जैसा सर्वांगपूर्ण व्याकरण जगत की किसी भी अन्य भाषा देखने में नहीं आता। यह संसार भर की भाषाओं में प्राचीनतम और समृद्धतम है।

महात्मा गाँधी जी के अनुसार 'संस्कृत-ज्ञान के बिना हिन्दू तो असंस्कृत की हैं।'

स्वामी विवेकानन्दजी कहते हैं- 'संस्कृत शब्दों की ध्वनिमात्र से इस जाति को शक्ति, बल और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।'

विलियम थियॉडोर कहते हैं कि 'भारत तथा संसार का उद्धार और सुरक्षा संस्कृत-ज्ञान के द्वारा ही सम्भव है।'

भारतीय संस्कृति की सुरक्षा, चरित्रवान नागरिकों के निर्माण, प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति एवं विश्वशांति के उद्देश्य से संस्कार सभाओं में संस्कृत का अध्ययन-अध्यापन सम्मिलित किया गया है।

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'युवा सेवा संघ' की सेवा प्रणाली

पूज्य बापू जी की पावन प्रेरणा से शुरू हुए युवा सेवा संघ की उद्देश्यपूर्ति हेतु यहाँ दी जा रही सेवाप्रणाली एक मुख्य साधन है। इस सेवाप्रणाली के माध्यम से युवा सेवा संघ का हरेक सदस्य सहज में ही अपनी योग्यता और प्रतिभा का अधिक-से-अधिक विकास कर सकता है। इस सेवाप्रणाली में मुख्यरूप से समाज-उपयोगी गतिविधियों को दर्शाया गया है। इसके अलावा युवा संघ सदस्य अपने क्षेत्र अनुसार अन्य सेवाओं को खोजकर 'युवा सेवा संघ' के सभी नियमों का पालन करते हुए उन्हें कर सकते हैं।

संस्कार सभा सेवाः

युवा सेवा संघ के सदस्य 'संस्कार सभा' का स्वयं लाभ लेते हुए अन्य युवकों को उसके माध्यम से होने वाले लाभ से परिचित करायें। आपके क्षेत्र (ग्राम/शहर) का विस्तार अधिक हो तो सुविधानुसार उसे 4-5 विभागों (Zone) में विभाजित करके 4-5 संस्कार सभा चलायें। सभी संस्कार सभाओं का संचालन 'क्षेत्रीय युवा संघ' के माध्यम से होगा। क्षेत्रीय युवा संघ के द्वारा होने वाले सभी सेवाकार्यों में संस्कार सभा का प्रचार-प्रसार अवश्य करें, जिससे अधिक-से-अधिक युवा लाभान्वित हो सकें।

ग्रन्थालय सेवाः

संस्कार सभा का लाभ लेने वाले सभी युवकों के लिए क्षेत्रीय युवा संघ ग्रंथालय शुरू करें। उसमें युवाओं के लिए उपयोगी आश्रम द्वारा प्रकाशित सत्साहित्य तथा ऑडियो कैसेट, वीसीडी, एमपी थ्री व डीवीडी के साथ ही आध्यात्मिक व भारतीय संस्कृति की दिव्यता दर्शाने वाले साहित्य, ग्रंथ आदि रखें। आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद व लोक कल्याण सेतु के अधिक-से-अधिक अंकों का संग्रह रखें। इस ग्रन्थालय की सामग्री का संस्कार सभा के युवक स्वयं भी लाभ उठायें व उन युवकों द्वारा औरों को भी लाभ मिले, इसका विशेष ध्यान रखें।

तेजस्वी युवा अभियानः

इस अभियान के माध्यम से युवाओं को तेजस्वी बनाने के साथ-साथ हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के रहस्यों से अवगत कराया जायेगा। यह अभियान हाई स्कूल व कॉलेजों में जाकर करें।

हाई स्कूल, कालेजों में जाकर वहाँ के प्रिंसीपल/प्रबंधक से मिलकर उन्हें इस अभियान का महत्त्व व रूपरेखा बतायें तथा अभियान का दिन व समय निश्चित कर लें।

अभियान की रूपरेखाः

युवा संघ के सदस्य हाईस्कूल व कॉलेजों में जाकर प्रिंसीपल/प्रबंधक की अनुमति से एक स्थान निश्चित कर लें, जहाँ पर आश्रम द्वारा निर्मित बाल संस्कार प्रदर्शनी के चार्ट नं, 19, 21 से 23, 31 से 36, 43 से 50 लगायें। साथ में क्षेत्रीय युवा संघ द्वारा प्रति सप्ताह चलायी जाने वाली 'संस्कार सभा' का स्थान, समय व विशेषता दर्शाने वाला बैनर लगायें। इस प्रदर्शनी का अवलोकन वहाँ के विद्यार्थी प्रिंसीपल/प्रबंधक की अनुमति के अनुसार करें। विद्यार्थियों द्वारा अवलोकन करने से पहले या बाद में उन्हें एक साथ बिठाकर 10 मिनट का वक्तव्य दें। यह सेवा उस सदस्य को सौंपें जिसकी आवाज स्पष्ट व प्रभावशाली हो अथवा वक्तृत्वशैली उत्तम हो। वक्तव्य में सर्वप्रथम 'दिव्य प्रेरणा-प्रकाश' पुस्तक में दिया गया पूज्य बापू जी का संदेश बतायें। तत्पश्चात् दिव्य प्रेरणा प्रकाश व नशे से सावधान साहित्य का महत्त्व तथा उसके पठने से होने वाले लाभ बतायें। अपने जीवन को उन्नत बनाने के इच्छुक युवा विद्यार्थियों को क्षेत्र में चलने वाली संस्कार सभा में निशुल्क प्रवेश की जानकारी देकर उसका लाभ लेने हेतु आमंत्रित करें।

विद्यार्थियों को उपरोक्त साहित्य प्राप्त कराने की योजना प्रिंसीपल/प्रबंधक से विचार विमर्श करके बनायें। जैसे-

हाई स्कूल, कॉलेज के प्रांगण में अस्थायी साहित्य-स्टॉल लगाकर शुल्क लेकर साहित्य वितरण करें। साहित्य लेने में असक्षम विद्यार्थियों को युवा संघ अपनी सुविधानुसार निःशुल्क वितरण कर सकता है।

विद्यार्थियों की कक्षा में ही शुल्कसहित साहित्य वितरण करें।

व्यसन मुक्ति अभियानः

तेजस्वी युवा अभियान की तरह ही इस अभियान की पूर्वतैयारी कर लें। स्थान, समय निश्चित करके टी.वी./प्रोजेक्टर आदि के द्वारा आश्रम की व्यसनों से सावधान व प्रेरणा ज्योत (प्रथम 20 मिनट) वीसीडी दिखायें। फिर सभी उपस्थित लोगों से संकल्प करवायें कि 'आज से हम सभी प्रकार के व्यसनों से स्वयं भी बचेंगे व औरों को भी व्यसनों के दुष्परिणामों से अवगत करायेंगे। अंत में नशे से सावधान  पुस्तक शुल्क लेकर अथवा निःशुल्क वितरण करें या दिव्य प्रेरणा प्रकाश पुस्तक खरीदने पर नशे से सावधान भेंट में दें (युवा संघ की सुविधा अनुसार)।

सार्वजनिक स्थानों में, सार्वजनिक उत्सवों में (जैसे – गणेश-उत्सव, नवरात्रि आदि उत्सव आदि) सम्बंधित मुख्य व्यक्तियों से पूर्वानुमति लेकर उपरोक्त दोनों अभियान कर सकते हैं।

नोटः तेजस्वी युवा अभियान व व्यसन मुक्ति अभियान संयुक्तरूप से भी कर सकते हैं।

जीवन विकास अभियानः

इस अभियान के माध्यम से युवा संघ के सदस्य अपनी शैक्षणिक व व्यावहारिक योग्यता का बहुजनहिताय, बहुजनसुखाय उपयोग करें। जैसेः

यदि कोई सदस्य डॉक्टर है तो उसके सहयोग से क्षेत्रीय युवा संघ गरीब, पिछड़े इलाकों में, आदिवासी क्षेत्रों में निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगायें। कोई क्षेत्र पिछड़ा हो तो वहाँ के लोगों को इकट्ठा करके उन्हें सफाई का महत्त्व, स्वास्थ्य के घरेलू उपाय, भगवन्नाम-महिमा आदि बताकर उनकी जीवनशैली सुधारने हेतु प्रेरित करें। साथ ही टी.वी./प्रोजेक्टर के माध्यम से उन्हें पूज्य श्री के सत्संग का लाभ दिलायें।

यदि कोई सदस्य शिक्षक है तो वह अपने घर पर तथा स्कूल में बाल संस्कार केन्द्र अवश्य चलायें। साथ ही अपने सम्पर्क में आने वाले साधकों को बाल संस्कार केन्द्र चलाने हेतु प्रेरित करें। इसकी विस्तृत जानकारी हेतु बाल संस्कार मुख्यालय, अमदावाद से सम्पर्क करें।

यदि कोई सदस्य आश्रम से प्रकाशित ऋषि प्रसाद या लोक कल्याण सेतु मासिक पत्रिका का सेवाधारी हो तो वह साधकों से पुराने अंक एकत्रित करके युवा संघ के माध्यम से उत्साही व जिज्ञासु जनसाधारण में निःशुल्क वितरण करे। ऋषि प्रसाद व लोक कल्याण सेतु पत्रिकाओं से समाज का हरेक वर्ग अधिक-से-अधिक लाभान्वित हो, इसका क्षेत्रीय युवा संघ विशेष ध्यान रखें। पत्रिकाओं के प्रचार-प्रसार हेतु सम्बन्धित अमदावाद मुख्यालय से सम्पर्क करें।

मातृ-पितृ पूजन दिवसः

बाल एवं युवा वर्ग के विशेष उत्थान को ध्यान में रखकर पूज्य बापू जी ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन पर्व मनाने की नींव डाली है। इस मंगल पर्व का लाभ सम्पूर्ण समाज को मिल सके, इस हेतु युवा संघ के सदस्य 15-20 दिन पूर्व से ही इसका खूब प्रचार-प्रसार करें। इस पर्व में बेटे बेटियाँ अपने माता-पिता का पूजन करके उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। इस पर्व का आयोजन विशेषरूप से स्कूलों-कॉलेजों में करें। इसके प्रचार-प्रसार एवं आयोजन की जानकारी के लिए युवा सेवा संघ मुख्यालय से सम्पर्क करें।

युवाओं हेतु विशेष शिविर सेवाः पूज्य बापू जी के पावन सान्निध्य में समय-समय पर आयोजित होने वाले 'युवा उत्थान शिविर' 'विद्यार्थी तेजस्वी तालीम शिविर' आदि शिविरों का अधिक से अधिक युवा विद्यार्थी लाभ लें, इस हेतु क्षेत्रीय युवा संघ अपने क्षेत्र के युवाओं को प्रेरित करें तथा सुनियोजित व अनुशासित प्रणाली बनाकर उन्हें शिविर में ले आयें। क्षेत्रीय युवा संघ ऐसे शिविरों में मुख्यालय द्वारा प्राप्त निर्देशानुसार अपनी सेवाएँ निश्चित कर लें।

अनाथालय, वृद्धाश्रम आदि में सहायः

ऐसी जगहों पर पूज्यश्री के उनसे सम्बन्धित विषयों के सत्संग दिखायें, सत्साहित्य बाँटे। वहाँ के व्यस्थापक से मिलकर उन्हें ऋषि प्रसाद व लोक कल्याण सेतु मासिक पत्रिका का सदस्य बनायें, ताकि प्रतिमाह वहाँ के सभी लोगों को पूज्य श्री के अमृतवचनों का लाभ मिल सके। साथ ही व्यवस्थापक से कहके वहाँ पर आश्रम के सत्साहित्य में ऑडियो-वीडियो सीडी आदि का सेट भी रखवा सकते हैं।

वृक्षारोपण सेवाः

अपने घर के आस-पास, सड़क के किनारे तथा अन्य आवश्यक जगहों पर सम्बन्धित व्यक्तियों से अनुमति लेकर वृक्षारोपण सेवा करें। पूज्य बापू जी ने सत्संग में पीपल व तुलसी की खूब महिमा बतायी है, साथ ही नीलगिरी (सफेदा) के पेड़ के नुक्सान भी बताये हैं। इस सेवा के माध्यम से पूज्य श्री का यह मौलिक संदेश समाज में पहुँचाकर उसे लाभदायक वृक्षों के प्रति जागरूक करें। वृक्षारोपण में विशेषतः तुलसी, पीपल, नीम, आँवला, बड़, आम आदि पौधों का उपयोग करें।

क्षेत्रीय युवा संघ स्थानीय समिति/स्थानीय आश्रम द्वारा मानव-उत्थान हेतु चलाये जा रहे सेवाकार्यों में युवा संघ से जुड़े सभी युवानों को सहभागी बनाकर पूज्य बापू जी के इन दैवी कार्यों को तीव्र गति से आगे बढ़ायें।

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'राज्य प्रमुख युवा संघ' की सेवाप्रणाली

क्षेत्रीय युवा सेवा संघ राज्यप्रमुख युवा संघ चुने जाने पर उसके सभी सदस्य एक बैठक कर लें और नीचे दी हुई सेवाप्रणाली को अपने तीन महीने के कार्यकाल में सुचारू रूप से करने हेतु योजना बनायें।

केन्द्रीय युवा संघ द्वारा निर्धारित किये गये राज्य/राज्यमंडल में अधिक-से-अधिक क्षेत्रीय वुवा संघों का गठन हो, इस हेतु राज्य/राज्यमंडल में जहाँ क्षेत्रीय युवा संघ नहीं है उस क्षेत्रीय समिति व केन्द्रीय युवा संघ की सदस्यता प्राप्त किये हुए युवकों की सूची में मुख्यालय से मँगवा लें।

युवा सेवा संघ की सेवाप्रणाली अनुसार अपने क्षेत्रीय युवा सेवा संघ की उन्नति व वृद्धि हेतु विशेष तत्पर रहें।

केन्द्रीय युवा संघ के निर्दशानुसार वर्ष के अंत में होने वाले राज्यस्तरीय वार्षिक युवा संघ सम्मेलन को आयोजित करने का सुअवसर उस वर्ष में बने तीन राज्यप्रमुख युवा संघों को मिलेगा।

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सेवा विवरण कैसे भेजें ?

क्षेत्रीय युवा सेवा संघ द्वारा किये जाने वाले सेवाकार्यों का विवरण भेजने हेतु इस मार्गदर्शिका में सेवा विवरण पत्रक  का प्रारूप दिया जा रहा है। इस प्रारूप के अनुरूप किसी अन्य कागज पर सेवाकार्यों का विवरण लिखकर मुख्यालय को भेजें। क्षेत्रीय युवा संघों को अपने चार महीने के सम्पूर्ण सेवाकार्यों का विवरण स्थानीय समिति की मुहर लगवा के भेजना आवश्यक है। क्षेत्रीय युवा संघ के राज्यप्रमुख युवा संघ बनने पर निर्धारित प्रारूप के अनुरूप दोनों सेवाकार्य विवरण पत्रक बना के मुख्यालय में भेजने होंगे।

क्षेत्रीय युवा संघ द्वारा किये गये सेवाकार्यों को आश्रम से प्रकाशित मासिक पत्रिकाओं में दर्शाया जा सके, इस हेतु सेवाकार्यों की सम्पूर्ण झलक दिखाने वाली तस्वीरें (दो-तीन) और संक्षिप्त विवरण यथाशीघ्र ई-मेल आदि द्वारा मुख्यालय को भेजें। (जैसेः 14 फरवरी को मनाये मातृ-पितृ पूजन दिवस का विवरण 20 फरवरी तक भेजें।)

क्षेत्रीय युवा संघ 'सेवाकार्य विवरण पत्रक'

दिनांक.................................... से ............................. तक की सेवा का विवरण।

युवा सेवा संघ..................................................... संघ कोड नं.........................

पत्र-व्यवहार करने वाले का नाम...................................................................

पूरा पता................................................................................................

फोन/मोबाईल...................................................................................

संस्कार सभा सेवा......................... महीना............................... वर्ष...................

सभा दिनांक

 

 

 

 

 

मंत्र दीक्षित युवकों की संख्या

 

 

 

 

 

मंत्रदीक्षा नहीं ली, ऐसे युवकों की संख्या

 

 

 

 

 

कुल उपस्थिति

 

 

 

 

 

इस प्रकार चार महीने का विवरण बनायें।

सेवा प्रणाली में दिये गये सेवाकार्य किये जाने पर नीचे दिये गये प्रारूप के अनुसार उनका संक्षिप्त विवरण भेजें।

सेवाकार्य का नाम...................................................सेवा-दिनांक.........................

लाभार्थियों की संख्या (युवक, विद्यार्थी, जनसामान्य)...............................................

युवा संघ सदस्यों की उपस्थिति संख्या................................................................

सेवा का संक्षिप्त विवरण....................................................................................

..................................................................................................................

इस प्रकार प्रत्येक सेवाकार्य का अलग-अलग प्रारूप बनायें।

युवा संघ प्रमुख का नामः............................................... हस्ताक्षर......................

युवा संघ सचिव का नामः ............................................. हस्ताक्षर.....................

किन्हीं दो संस्कार संशोधन प्रभारियों के नामः

1.............................................................................. हस्ताक्षर.....................

2.............................................................................. हस्ताक्षर.....................

 

 

 

 

क्षेत्रीय युवा सेवा संघ की मुहर                 स्थानीय समिति की मुहर

नोटः इसकी एक प्रति बनाकर स्थानीय समिति को दें व मुख्यालय भेजने वाली प्रति पर समिति की मुहर लगवायें।

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राज्य प्रमुख युवा संघ - 'सेवाकार्य विवरण पत्रक'

राज्य प्रमुख युवा संघ..................................................................................

तीन माह का कार्यक्रम.....................................से.....................................तक

आपके युवा संघ के माध्यम से राज्य/राज्यमंडल में शुरु किये गये क्षेत्रीय युवा सेवा संघ का विवरण निम्नलिखित प्रारूप में भेजें।

महीना.......................................वर्ष.................................................

जिले का नाम

स्थानीय समिति

शुरू हुआ युवा सेवा संघ

संस्कार सभा शुरू हुई या नहीं ?

संघ आवेदन पत्र भरा या नहीं ?

युवा संघ कोड नं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

युवा संघ प्रमुख का नाम.....................................................हस्ताक्षर...................

युवा संघ सचिव का नाम.....................................................हस्ताक्षर..................

किन्हीं दो संस्कार संशोधन प्रभारियों का नाम

1....................................................................................हस्ताक्षर..................

2....................................................................................हस्ताक्षर.................

 

 

 

केन्द्रीय युवा संघ की मुहर                           स्थानीय समिति की मुहर

नोटः उपरोक्त प्रारूप तीन महीने के अनुसार बनायें। इसकी एक प्रति बनाकर स्थानीय समिति को दें व मुख्यालय भेजने वाली प्रति पर समिति की मुहर लगाएँ।

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परम पूज्य संत श्री आसाराम जी द्वारा प्रेरित

युवा सेवा संघ 'आवेदन पत्र'

प्रति,                                      युवा संघ कोड नं....................

'युवा संघ विभाग', अखिल भारतीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति,

संत श्री आसाराम जी आश्रम, अमदावाद।

श्री योग वेदान्त सेवा समिति, .................................... के कार्य क्षेत्र में हम युवानों ने, जिन्हें केन्द्रीय युवा संघ से सदस्यता प्राप्त है, क्षेत्रीय युवा संघ' का सर्वसम्मति से गठन कर लिया है। क्षेत्रीय युवा संघ का गठन करने से पूर्व हम सभी ने 'युवा सेवा संघ मार्गदर्शिका' का गहराई से अध्ययन किया है। हम सभी सदस्य युवा सेवा संघ के नियम, कार्यकारिणी व सेवाप्रणाली से व्यक्तिगत व सामूहिक क्रम से सहमत हैं।   दिनांक.............................

हमारे क्षेत्रीय युवा संघ के पत्रव्यवहार का पताः

युवा सेवा संघ.......................................... पता....................................

शहर/ग्राम ............................................. तहसील/तालुका.........................

जिला..................................................... राज्य......................................

पिन कोडः ............................................. ई-मेल ..................................

युवा सेवा संघ.......................................... की कार्यकारिणी का विवरणः

सेवा

 नाम

सदस्यता क्र.

फोन

हस्ताक्षर

संघ प्रमुख

 

 

 

 

संघ उपप्रमुख

 

 

 

 

संघ सचिव

 

 

 

 

संघ कोषाध्यक्ष

 

 

 

 

संस्कार प्रभारी (1)

 

 

 

 

संस्कार प्रभारी (2)

 

 

 

 

संस्कार प्रभारी (3)

 

 

 

 

संस्कार प्रभारी (4)

 

 

 

 

संस्कार प्रभारी (5)

 

 

 

 

 

कार्यकारिणी सदस्य (अधिकतम पाँच) की सूचि साथ में संलग्न करें।

उपरोक्त कार्यकारिणी सभासदों के अलावा कार्यकारिणी सदस्य तथा हमारे क्षेत्र के 'केन्द्रीय युवा संघ' से सदस्यता प्राप्त युवकों की सूचि (नाम व सदस्यता के सहित) साथ में संलग्न की है।

हम सभी सभासद कार्यकारिणी गठन के इस शुभ अवसर पर यह संकल्प करते हैं कि अपने नैतिक कर्तव्य को याद रखते हुए अपने एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान 'युवा सेवा संघ' की उन्नति व वृद्धि का विशेष ध्यान रखेंगे। हरि ॐ.....

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समिति सहकार पत्र

(समिति स्वयं 'युवा सेवा संघ मार्गदर्शिका' का अध्ययन करके ही यह सहकार पत्र भरें।)

प्रति,

'युवा सेवा संघ' विभाग,

अखिल भारतीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति,

संत श्री आसाराम जी आश्रम, अमदाबाद।

हमारे कार्यक्षेत्र में पूज्य बापू जी से मंत्रदीक्षित युवाओं द्वारा युवा सेवा संघ........ .................................... की कार्यकारिणी का गठन किया गया है।

मार्गदर्शिका में दिये हुए 'नियम व सेवा पणाली' का अध्ययन करने के पश्चात हम यह पूर्ण विश्वास के साथ कहते हैं कि इस युवा सेवा संघ के माध्यम से युवाओं का सर्वांगीण विकास अवश्य होगा। पूज्य बापू जी द्वारा मानव उत्थान हेतु चलाये जा रहे दैवी कार्यों से समाज के सभी वर्ग लाभान्वित हों, इस हेतु यह युवा सेवा संघ उत्तम माध्यम बनेगा।

श्री योग वेदान्त सेवा समिति,...............................................कोड नं..............

पूरा पता.................................................................................................

श्री योग वेदान्त सेवा समिति, ....................................... यह घोषणा करती है कि युवा सेवा संघ,................................... की गठित कार्यकारिणी के सभी सभासदों की छवि स्थानीय समाज में साफ सुथरी है। प्रस्तावित संघ आवेदन पत्र में दी गयी सारी सूचनाएँ समिति की जानकारी में सत्य हैं।

क्रमांक

समिति में पद

पूरा नाम

फोन

हस्ताक्षर

1

 

 

 

 

2

 

 

 

 

 

समिति के कोई दो पदाधिकारी यहाँ हस्ताक्षर करें।

 

 

दिनांक....................................                    समिति की मुहर

नोटः यदि आपके क्षेत्र में श्री योग वेदान्त सेवा समिति नहीं है तो 'समिति सहकार पत्र' भरे बिना ही भेज दें।

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संयम का महत्त्व समझें

चाहे क्रान्तिकारी हों या परमात्मा के उपासक, जिनके जीवन में संयम रहा है वे ही सफल हुए हैं।

चन्द्रशेखर आजाद एक ऐसे क्रान्तिकारी हुए जिन्होंने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिये। बलिष्ठ-फुर्तीला बदन, शेर की दहाड़ सी गर्जनाभरी आवाज एवं अचूक निशाना उनकी शख्सियत थी। इसके पीछे या संयम-सदाचार का बल, ब्रह्मचर्य की शक्ति।

आजाद अच्छी विचारपूर्ण पुस्तकें पढ़ने को शौकीन थे। वे स्वयं अच्छा साहित्य लाकर पढ़ते और अपने साथियों को भी पढ़ाते। उपन्यास, गंदी पुस्तकें देखकर वे चिढ जाते थे। जब भी साथियों में स्त्री विषयक चर्चा चलती तो वे उसका विरोध करते और कहतेः 'फिर चुम्बक की बात। यह चुम्बक जिसे लगा, ले डूबा।.... सिपाही को औरत से क्या मतलब।

एक दिन उनके मित्र राजगुरू कहीं से स्त्री के अश्लील चित्रवाला कैलेण्डर लाये और दीवार पर लगा दिया। आजाद बाहर से घूमकर आये तो दीवार पर लगा कैलेण्डर देख कर गम्भीर हो गये। उन्होंने कीलसहित कैलेण्डर को खींच लिया और टुकड़े टुकड़े कर के फेंक दिया।

कुछ देर बाद जब राजगुरू लौटे तो कैलेण्डर न देखकर जोर से बोलेः "अरे, हमारे कैलेण्डर का क्या हुआ ?''

एक साथी ने जमीन पर पड़े कागज के टुकड़ों की ओर इशारा किया। अपने कैलेण्डर की यह हालत देखकर वे झुँझला उठे और क्रोधपूर्ण स्वर में बोलेः "यह किसने किया ?"

आजाद बुलंद स्वर में बोलेः "मैंने किया।"

आजाद के प्रति आदर होने से आवाज नीची करते हुए राजगुरू ने विरोध कियाः "आपने क्यों फाड़ डाला ? हम इतने शौक से तस्वीर लाये थे।"

"हमें-तुम्हें ऐसी तस्वीरों से क्या मतलब ?" आजाद ने डपट दिया।

आजाद की लाल आँखें देख दूसरे साथियों ने इशारा किया और विवाद का समापन हुआ।

आजाद संयम सदाचार की महिमा जानते थे। अपने साथियों की जरा-सी भी कमजोरी उनसे देखी न गयी। मित्र वही है जो पतन से, गलत रास्ते से मचाये। जैसे बिना लगाम का घोड़ा सवार को गिरा देता है, वैसे ही सयंम की लगाम बिना की इन्द्रियाँ जीव को पतन की खाई में गिरा देती है। संयम-सदाचार के बिना परम सिद्धि भगवत्प्राप्ति तो क्या, स्वतन्त्रता-संग्राम जैसे लौकिक कार्यों में भी सफलता नहीं प्राप्त होती।

अतः संयम का महत्त्व समझें। संयम बढ़ाने वाली पुस्तकें, संयम में सहायक चित्रों से फायदा लें। गंदे चित्र, गंदी पुस्तकें आपकी योग्यता के विनाश की खाई न खोदें, इसका ध्यान रखें।

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सच्ची समाजसेवा

एक बार कुछ समाजवादी नवयुवक अपनी शंकाओं का समाधान करने के लिए महात्मा गाँधी के पास आये। गाँधी जी उनकी शंकाओं का संतोषपूर्ण समाधान करते जा रहे थे। फिर उन्होंने लिखकर उन नवयुवकों से पूछाः

"मैंने तो समाजवाद का तात्पर्य यह लगाया है कि हम मेहनत के कामों के प्रति अरूचि हटा दें एवं आलस्य का त्याग कर दें। बोलो, तुम लोग अपना प्रत्येक काम अपने हाथों से ही करते हो कि दूसरों के द्वारा करवाते हो ? अपने घर नौकर रखते हो कि नहीं ?"

उन नवयुवकों के अगुआ ने कहाः "बापू ! विद्याभ्यास, समाजसेवा एवं ऐसी प्रवृत्तियों में अपने हाथों से अपना काम करने का वक्त ही कहाँ मिलता है ? हम सबके यहाँ कम से कम एक नौकर तो हैं ही। किसी-किसी के यहाँ तो दो-तीन नौकर भी होंगे।"

गाँधी जीः "जब तुम लोग अपनी ही सेवा स्वयं नहीं कर सकते तो लोगों की सेवा कैसे करते होंगे ? क्या तुम लोग दम्भ का आचरण नहीं कर रहे ? बाते करते हो समाजसेवा की और अपना काम दूसरों से करवाते हो ? यह विचित्र समाजवाद तो मेरी समझ में नहीं आता।"

नवयुवकों के अगुआ ने संकोच के साथ कहाः

"बापू ! अब आप ही हमें सच्चे समाजवाद की आचार-संहिता बतायें। हम उस पर अवश्य अमल करेंगे।"

उस दिन महात्मा गाँधी का मौन दिवस (सोमवार) था। उन्होंने उन नवयुवकों को लिखकर जो उत्तर दिया, वह इस प्रकार थाः

"सच्चे समाजवाद पर कोमल करना हो तो अपने प्रत्येक कार्य में अपने ही हाथ पैरों का उपयोग करो। भगवान ने मनुष्य का निर्माण सच्चे समाजवादी के रूप में ही किया है किंतु हम स्वयं ही प्रमादी, आलसी होकर पूँजीवादी मानसिकता से ग्रस्त हो जाते हैं। इसीलिए पराये लोगों की मेहनत पर 'तक धिनाधन' करने का दोष हमारे स्वभाव में आ जाता है।

भगवान ने हमें हाथ एवं दिमाग कार्य करने के लिए ही दिये हैं। पूरे दिन में हाथों से छः घण्टे काम लेना चाहिए, पैरों से भी छः घण्टे काम लेना चाहिए एवं दिमाग से भी छः घण्टे काम लेना चाहिए। ये तीनों अंग कार्यरत रहेंगे तभी तुम्हारा स्वास्थय अच्छा बना रहेगा। पैरों को काम दो ताकि मेंद (मोटापा) न बढ़े। हाथों को काम दो ताकि शरीर स्वस्थ रहे एवं पेट की बीमारी न हो। दिमाग को काम दो ताकि बुद्धि विकसित हो। दीर्घ जीवन का रहस्य इन तीन अंगों के सदुपयोग में ही समाहित हैं। यही सच्ची समाजवाद की आचार-संहिता है।

अब तुम्हें क्रमश बताता हूँ। सुबह ही दिनचर्या से समाजवाद की शुरूआत करो। सुबह उठो तब अपना बिस्तर स्वयं उठाकर यथोयोग्य स्थान पर ठीक से रख दो अपने कपड़े स्वयं ही धो डालो। बर्तन माँजने-धोने में भी मदद करो।

तुम्हारे आचरण में जब यह सब पूर्णरूप से उत्तर जायेगा, तम तुम्हें समाजवाद का प्रचार करने की जरूरत नहीं रहेगी। तुम्हारा आचरण स्वयं ही समाजवाद की प्रत्यक्ष प्रतीति करवायेगा। तुम्हारा परिवार भी तुम्हें आदरपूर्वक देखने लगेगा कि उस पर बोझरूप बनने की जगह तुम मददरूप बने हो, एक आदर्श नागरिक बने हो।"

गाँधी जी यह वाणी उन नवयुवकों के हृदयों को स्पर्श कर गयी। सबने उनके चरणों की वंदना की एवं विदा ली।

गाँधी जी केवल कहते ही थे ऐसी बात नहीं, जो कहते थे पहले उसका आचरण स्वयं करते थे। उनकी कथनी एवं करनी की साम्यता दूसरों को आकर्षित किये बिना नहीं रहती थी। यदि आज के नवयुवक इसका महत्त्व समझ जायें तो वे कई परेशानियों से बच जायेंगे और स्वयं तो स्वावलम्बी बनेंगे ही, समाज एवं राष्ट्र के लिए भी आदर्श नागरिक बन जायेंगे।

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युवानों के लिए विशेष उपयोगी

युवाओं की चेतनाशक्ति को ऊर्ध्वगामी करके उनमें छुपी महानता को प्रकट करने वाली पूज्यश्री की अमृतवाणी का कुछ संकलन यहाँ दे रहे है। आश्रम तथा समिति से किसी भी सत्साहित्य सेवा केन्द्र से तथा क्षेत्रीय युवा संघ से ग्रंथालय से इसे प्राप्त करा सकते हैं।

ऑडियो कैसेटः ज्ञान के चुटकुले, स्वभाव कैसे बदलें ?, चिन्ता मत करो, मधुर जीवन कैसे बनायें ?, सुखी होने की कला, प्रसन्नता का राजमार्ग, नास्तिक का जीवन-परिवर्तन, संयम की शक्ति, युवानों के लिए, अपने रक्षक आप, सफलता का सूत्र, पूज्य श्री का साधना काल, दृढ़ निश्चय से प्राप्ति, जाग सके तो जाग, भाग 1-2, वासना और उद्देश्य।

MP3: मनुष्य जन्म अनमोल, माँ बाप को भूलना नहीं, जीवन जीने की कला, प्रेरक जीवन प्रसंग, तेजस्वी कैसे बनें ?, महान कैसे बनें ?, मन को वश कैसे करें ?, मन का इलाज, मन एक कल्पवृक्ष, राष्ट्र जागृतिः भाग 1-2, मौत से मजाक, व्यसनों से सावधान और कल्पवृक्ष, वैदिक ज्ञान, सफलता का रहस्य, उन्नति का मार्ग, गीता में कर्मयोग, महकता जीवन, विद्यार्थी विशेष भाग 1-5, बुद्धि का विकास कैसे हो ?, मौन का माधुर्य, प्रेरणा ज्योत, चुप साधना, नित्य विवेक, विवेक का आदर, योग का रहस्य, कुण्डलिनी योग, मंत्रजप से भाग्योदय एवं स्वास्थ्य-लाभ, सफलता का मंत्र, मंत्रदीक्षा से जीवन विकास, ॐकार उपासना, महापुरूषों के अनुभव चुरा लो, ईश्वरप्राप्ति का उद्देश्य बना लो, सुयशाः कब सुमिरोगे राम ?, संतकृपा से काम बदला राम में, गुरुकृपा के चमत्कार (श्री सुरेशानन्दजी)।

DVD: एकाग्रता और अनासक्ति योग, प्रार्थना का रहस्य व विवेक दर्पण।

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हे प्रभु आनंद दाता

 हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये |

शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये ||

हे प्रभु

लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें |

ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें ||

हे प्रभु

निंदा किसीकी हम किसीसे भूल कर भी न करें |

ईर्ष्या कभी भी हम किसीसे भूल कर भी न करें ||

हे प्रभु ………

 सत्य बोलें झूठ त्यागें मेल आपस में करें |

दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें ||

हे प्रभु ………

जाये हमारी आयु हे प्रभु ! लोक के उपकार में |

हाथ ड़ालें हम कभी न भूलकर अपकार में ||

हे प्रभु ………

कीजिये हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा !

मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा ||

हे प्रभु ………

प्रेम से हम गुरुजनों की नित्य ही सेवा करें |

प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें ||

हे प्रभु

योगविद्या ब्रह्मविद्या हो अधिक प्यारी हमें |

ब्रह्मनिष्ठा प्राप्त करके सर्वहितकारी बनें ||

हे प्रभु

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मुख्यालयः                        युवा सेवा संघ विभाग

अखिल भारतीय श्री योग वेदान्त सेवा समिति,

संत श्री आसारामजी आश्रम,

संत श्री आसारामजी बापू आश्रम मार्ग,

साबरमति, अमदावाद-5. फोनः -79- 27505010,11

email: yss_sewa@yahoo.com

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क्षेत्रीय युवा संघ से 'सर्वोत्तम युवा सेवा संघ' तक की चयन प्रक्रिया

 

                              त क ख

                            ण थ द ध ग               क्षेत्रीय युवा संघ

                           ढ य र ल न घ

                           ड म श व प ङ

                            ट भ ब फ छ               राज्य/राज्यमंडल

                               झ ज

 

 

 

 

 

 

 


चार मासिक सेवा विवरण

 

 

 

 

 

 

 


केन्द्रीय युवा संघ

 

 

 


                                                      राज्य प्रमुख युवा संघ

 

 

क.......................ख...................ग

चार मासिक+ त्रैमासिक सेवा विवरण

 

 

 

 

 

 

 


केन्द्रीय युवा संघ

 

 

 

 

 

 

 


सर्वोत्तम युवा सेवा संघ

नोटः इस वृक्षाकृति (Tree Diagram) की विस्तृत जानकारी के लिए इस मार्गदर्शिका में दिया हुआ अपने युवा संघ को राज्यप्रमुख युवा संघ कैसे बनायें ? यह प्रकरण पढ़ें।

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महापुरूष कहते हैं..................

"तन तन्दुरूस्त, मन प्रसन्न, बुद्धि बुद्धिदाता के प्रकाश में पावन कर दो। मरने के बाद की किसने देखी। जाग्रत में भी उस परमात्मा की शरण जाओ। इसी में तुम्हारा मंगल है।"

ब्रह्मनिष्ठ संत श्री लीलाशाहजी महाराज

"भगवान बुद्ध का, कबीर जी का कुप्रचार हुआ, नानक जी का इतना कुप्रचार हुआ कि उन्हें जेल भेज दिया गया। सुकरात को जहर दे दिया गया। कुप्रचार करने वाले अभागे अपनी परंपरा बरकरार रख रहे हैं, जो सुप्रचार में लगे हुए सत्संगी सज्जन अपना सुप्रचार और सदयात्रा, ईश्वरप्राप्त क्यों छोड़ेंगे ? क्यों भ्रमित होंगे ?"

परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू

''प्यारे भारतवासियो ! अपने प्यारे बच्चों की शिक्षा 'डी-ओ-जी-डॉग अर्थात् कुत्ता' से आरम्भ न करके 'जी-ओ-डी गॉड अर्थात् ईश्वर' ज्ञानियों के उपदेश 'ॐ' से आरम्भ करो। यदि ऐसा न कर सको तो उसको कॉलेज में भेजने से पहले किसी पूर्ण ज्ञानवान के सत्संग में छोड़ दो।"

स्वामी रामतीर्थ

भारत के वेद युवानों का आवाहन कर रहे हैं- "आओ, जिस पर सुखसहित अनुगमन किया जा सकता है और जहाँ पाप का अपराधरूपी बाधाओं का भय नहीं है, ऐसे पथ पर चलकर हम उन्नति को प्राप्त करें।"

(यजुर्वेदः 4.29)

"हे युवाओ ! अब समय नहीं है और सोने का। हमको अपनी जड़ता से जागना ही होगा, आलस्य त्यागना ही होगा और कर्म में जुट जाना होगा।"

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस

"गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जिसे प्रत्येक हिन्दू को पढ़ना चाहिए। यदि यह इसको पढ़ता नहीं, जानता नहीं तो वास्तव मे वह हिन्दू कहा जाने योग्य है या नहीं इसमें मुझे संदेह होगा। यह दुःख की बात है कि आज के नवयुवक इस (भारतीय संस्कृति के) ग्रंथों से अपना कम संपर्क रखते हैं। यह आवश्यक है कि वे गीता का अध्ययन करें, कुछ समझें और अपने जीवन में इसको थोड़ा बहुत उतारने की कोशिश करें।"

भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री

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